अंतर्देशीय जलमार्गों पर भारत का रिकॉर्ड माल परिवहन

पाठ्यक्रम: GS3/अवसंरचना

संदर्भ

  • भारत ने 2024-25 में अंतर्देशीय जलमार्गों पर 145 मिलियन टन से अधिक माल की आवाजाही का रिकॉर्ड प्राप्त किया है।

परिचय

  • राष्ट्रीय जलमार्गों की संख्या 5 से बढ़कर 111 हो गई, जबकि परिचालन लंबाई 2,716 किमी. (2014-15) से बढ़कर 4,894 किमी. (2023-24) हो गई।
    • बड़े पैमाने पर बुनियादी ढाँचे के विकास में मल्टी-मॉडल टर्मिनल , इंटर-मॉडल टर्मिनल , सामुदायिक जेटी, फ्लोटिंग टर्मिनल और हाइब्रिड इलेक्ट्रिक और हाइड्रोजन वेसल्स जैसी ग्रीन तकनीक शामिल हैं।
अंतर्देशीय जलमार्गों पर भारत का रिकॉर्ड
  • भविष्य की संभावनाएँ: भारत का लक्ष्य समुद्री अमृत काल विजन के अंतर्गत IWT मॉडल शेयर को 2% से बढ़ाकर 5% करना और 2030 तक यातायात को 200+  MMT और 2047 तक 500+ MMT तक बढ़ाना है।

अंतर्देशीय जलमार्ग

  • अंतर्देशीय जलमार्ग से तात्पर्य उन नौगम्य नदियों, नहरों, बैकवाटर और खाड़ियों से है जिनका उपयोग देश के भीतर माल और यात्रियों के परिवहन के लिए किया जाता है। 
  • भारत में लगभग 14,500 किलोमीटर नौगम्य जलमार्ग हैं, लेकिन उनका उपयोग सीमित है। राष्ट्रीय जलमार्ग अधिनियम, 2016 के अंतर्गत 111 जलमार्गों को राष्ट्रीय जलमार्ग  घोषित किया गया है

अंतर्देशीय जलमार्ग का महत्त्व

  • आर्थिक लाभ: सड़क और रेल की तुलना में परिवहन लागत कम होती है।
  • ईंधन दक्षता: सड़क परिवहन की तुलना में 30% कम ईंधन और रेल की तुलना में 50% कम ईंधन का उपयोग होता है।
  • पर्यावरणीय स्थिरता: सड़कों पर कार्बन उत्सर्जन और भीड़ को कम करता है।
  • कनेक्टिविटी: अंतर्देशीय व्यापार और ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं का समर्थन करता है।
  • पर्यटन और यात्री परिवहन: नौका सेवाओं और नदी परिभ्रमण में भूमिका निभाता है।

राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करने के मानदंड

  • भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण राष्ट्रीय जलमार्ग घोषित करता है।
  • राष्ट्रीय परिवहन नीति समिति (1980) ने राष्ट्रीय जलमार्ग के लिए निम्नलिखित मानदंड सुझाए:
    • उचित आकार के यांत्रिक रूप से चालित जहाजों द्वारा नौगम्य।
    • चैनल की चौड़ाई ~45 मीटर और गहराई ~1.5 मीटर।
    • कम से कम 50 किमी. का निरंतर विस्तार।
    • कई राज्यों की सेवा करनी चाहिए, या प्रमुख बंदरगाहों/आंतरिक क्षेत्रों को जोड़ना चाहिए, या रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण होना चाहिए, या कम सेवा वाले क्षेत्रों की सेवा करनी चाहिए।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण 
– राष्ट्रीय परिवहन नीति समिति (1980) की सिफारिशों के आधार पर, भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI ) की स्थापना 1986 में IWAI अधिनियम, 1985 के अंतर्गत की गई थी।
मंत्रालय: केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय।
IWAI के कार्य:
1. राष्ट्रीय जलमार्गों ( NWs) पर बुनियादी ढाँचे का विकास और रखरखाव करना।
2. व्यवहार्यता अध्ययन करना।
3. नए NWs की घोषणा की सिफारिश करना।
4. केंद्र सरकार को परामर्श देना और राज्य सरकारों की सहायता करना।

अंतर्देशीय जलमार्ग विकास में चुनौतियाँ

  • मौसमी जल स्तर में उतार-चढ़ाव नेविगेशन को प्रभावित करते हैं।
  • बुनियादी ढाँचे (टर्मिनल, ड्रेजिंग और नेविगेशन सहायता) की कमी।
  • अविकसित मार्गों के कारण उद्योगों द्वारा धीमी गति से अपनाया जाना।
  • सड़क और रेल परिवहन से प्रतिस्पर्धा।

अंतर्देशीय जलमार्गों को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत उपाय

  • जलवाहक – कार्गो प्रमोशन योजना: इसे 2024 में लॉन्च किया गया था और इसके दो प्रमुख घटक हैं:
    • वित्तीय प्रोत्साहन: कार्गो मालिकों को सड़क/रेल से IWT तक कार्गो स्थानांतरित करने के लिए वास्तविक परिचालन लागत पर 35% प्रतिपूर्ति मिलती है, जिससे जलमार्गों के उपयोग को बढ़ावा मिलता है।
    • अनुसूचित सेवाएँ: विश्वसनीयता और पूर्वानुमान को बढ़ावा देने के लिए नियमित कार्गो सेवाएँ प्रारंभ की गई हैं।
  • अंतर्देशीय जहाजों पर टन भार कर का विस्तार: 2025 में बजट के दौरान इसकी घोषणा की गई थी, टन भार कर व्यवस्था को भारतीय पोत अधिनियम, 2021 के अंतर्गत पंजीकृत अंतर्देशीय जहाजों तक बढ़ा दिया गया है।
    • लाभ: लाभ के बजाय पोत के टन भार के आधार पर एक स्थिर एवं पूर्वानुमानित कर व्यवस्था प्रदान करता है, जिससे कर का भार कम होता है और अंतर्देशीय शिपिंग को व्यापक रूप से अपनाने को बढ़ावा मिलता है।
  • निजी निवेश के लिए नियामक ढाँचा: राष्ट्रीय जलमार्ग (जेट्टी/टर्मिनलों का निर्माण) विनियम, 2025 को अधिसूचित किया गया है, जिससे अंतर्देशीय जलमार्ग बुनियादी ढाँचे में निजी निवेश को सक्षम बनाया गया है।
  • बंदरगाह एकीकरण: निर्बाध मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स सुनिश्चित करने के लिए, वाराणसी, साहिबगंज और हल्दिया में मल्टी-मॉडल टर्मिनल, साथ ही कालुघाट में इंटरमॉडल टर्मिनल को संचालन और प्रबंधन के लिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट, कोलकाता में स्थानांतरित किया जा रहा है।
    • इस एकीकरण से बंदरगाहों और अंतर्देशीय जलमार्गों के बीच कार्गो की आवाजाही को सुव्यवस्थित करने की संभावना है। 
  • डिजिटलीकरण और केंद्रीकृत डेटाबेस: अंतर्देशीय जहाजों और चालक दल के पंजीकरण के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल विकसित किया जा रहा है, जो सड़क परिवहन के लिए उपयोग किए जाने वाले ‘वाहन’ और ‘सारथी’ प्रणालियों के समान है।
    • यह पहल पंजीकरण प्रक्रियाओं को सरल बनाएगी। 
    • जहाज और चालक दल की उपलब्धता पर वास्तविक समय का डेटा प्रदान करेगी। 
    • क्षेत्र में पारदर्शिता और नियोजन को बढ़ाएगी। 
  • कार्गो एकत्रीकरण अवसंरचना: जलमार्गों के साथ विरल औद्योगिक उपस्थिति से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए, कार्गो एकत्रीकरण केंद्र विकसित किए जा रहे हैं:
    • वाराणसी में फ्रेट विलेज। 
    • साहिबगंज में एकीकृत क्लस्टर-सह-लॉजिस्टिक्स पार्क। 
  • सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ सहभागिता(PSUs): 140 से अधिक PSUs को अपने माल के एक हिस्से को IWT में स्थानांतरित करने की संभावना खोजने के लिए शामिल किया गया है।

आगे की राह

  • भारत सरकार जल मार्ग विकास  जैसी परियोजनाओं के माध्यम से अंतर्देशीय जलमार्गों में भारी निवेश कर रही है।
  • सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित किया जा रहा है।
  • निर्बाध परिवहन के लिए मल्टीमॉडल लॉजिस्टिक्स हब के साथ IWT का एकीकरण किया जा रहा है।

Source: AIR

 

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