भारत में रोगाणुरोधी प्रतिरोध से निपटना

पाठ्यक्रम :GS 2/स्वास्थ्य 

समाचार में

  •  विशेषज्ञों ने शक्तिशाली एंटीबायोटिक सेफ्टाजिडाइम-एवीबैक्टम के अत्यधिक उपयोग को लेकर चिंता व्यक्त की है, जिससे इसकी प्रभावशीलता कम हो रही है और दवा प्रतिरोध बढ़ रहा है।
    • भारत के औषधि नियंत्रक महानिदेशक (DCGI) से दुरुपयोग को रोकने के लिए कठोर नियम लागू करने का अनुरोध किया गया।

एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) 

  • एंटीमाइक्रोबियल्स (जिसमें एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल्स, एंटीफंगल्स और एंटीपरासिटिक्स शामिल हैं) का उपयोग मनुष्यों, जानवरों एवं पौधों में संक्रमण के उपचार के लिए किया जाता है। 
  • एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की स्थिति तब उत्पन्न होता है जब रोगजनक इन दवाओं पर प्रतिक्रिया करना बंद कर देते हैं, जिससे संक्रमण का उपचार करना कठिन हो जाता है और रोग के प्रसार, बीमारी, विकलांगता एवं मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। 
  • AMR एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन मनुष्यों, जानवरों और पौधों में एंटीमाइक्रोबियल्स के गलत और अत्यधिक उपयोग के कारण यह तेजी से बढ़ती है।

चिंताएँ 

  • भारत में बैक्टीरियल संक्रमणों का भार सबसे अधिक है। 
  • एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस एक बढ़ता हुआ सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है जो एंटीबायोटिक्स की प्रभावशीलता को खतरे में डालता है, जिससे अस्पताल में अधिक समय तक भर्ती रहने, गहन देखभाल और उच्च मृत्यु दर का खतरा बढ़ जाता है। 
  • यह एक जटिल मुद्दा है, जिसे मनुष्यों, जानवरों और कृषि में एंटीबायोटिक्स के अत्यधिक उपयोग के साथ-साथ अपर्याप्त संक्रमण नियंत्रण एवं स्वच्छता जैसे कारक प्रभावित करते हैं। 
  • गरीबी और स्वच्छ जल की कमी जैसी सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियाँ भी इस समस्या को गंभीर बनाती हैं।

भारत द्वारा किए गए प्रयास

  •  भारत एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस को नियंत्रित करने के लिए विस्तारित जीनोमिक निगरानी और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद् (ICMR), राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् (ICAR) जैसे प्रमुख सरकारी निकायों के सहयोग से सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है। 
  • हाल के शोधों में सेफेपाइम-एनमेटाजोबैक्टम, सेफेपाइम-ज़िडेबैक्टम, नैफिथ्रोमाइसीन और लेवोडीफ्लॉक्सासिन जैसे नए एंटीबायोटिक्स विकसित किए गए हैं, जो बहु-दवा प्रतिरोधी रोगजनकों के उपचार के लिए नए विकल्प प्रदान करते हैं।
    • ये प्रगति अंतिम उपाय एंटीबायोटिक्स जैसे कार्बापेनेम और कोलिस्टिन पर निर्भरता को कम करने में सहायता कर रही हैं। 
  • रेड लाइन अभियान प्रारंभ किया गया था ताकि केवल डॉक्टर द्वारा दिए जाने वाले एंटीबायोटिक्स पर लाल रेखा अंकित कर जनता को जागरूक किया जा सके। 
  • ICMR अस्पतालों में एंटीबायोटिक संचालन कार्यक्रम को बढ़ावा देता है।

निष्कर्ष और आगे की राह 

  • भारत अपने मजबूत जैव-प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र, संक्रामक रोगों के उच्च भार और सस्ती विनिर्माण क्षमता का लाभ उठाकर एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR) की समस्या को हल करने के लिए कार्य कर रहा है।
    • इन क्षमताओं को मिलाकर, भारत AMR के विरुद्ध अपनी लड़ाई को तेज कर सकता है और निम्न और मध्यम आय वाले देशों के लिए वैश्विक स्तर पर नए एंटीबायोटिक्स की उपलब्धता में सुधार कर सकता है। 
  • भारत की इस लड़ाई में सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वह स्वास्थ्य देखभाल, प्रशासन और समाज में नवाचार को कैसे अपनाता है।
    • उचित नीतियों, बुनियादी ढाँचे और उद्यमियों को सहयोग देकर भारत AMR के विरुद्ध वैश्विक प्रयासों का नेतृत्व कर सकता है और इस गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट को नियंत्रित करने में विश्व के लिए एक मिसाल कायम कर सकता है। 
  • भोजन और पशु उत्पादन में एंटीबायोटिक्स के उपयोग को अनुकूलित किया जाना चाहिए और एंटीमाइक्रोबियल उपचार के उपयोग में अधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

Source:TH

 

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