हाइड्रोजन बम आधुनिक वॉरफेयर के लिए एक गेम-चेंजर

पाठ्यक्रम: GS3/ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, रक्षा

संदर्भ

  • चीनी शोधकर्त्ताओं ने एक नया हाइड्रोजन बम परीक्षण किया है, जो मैग्नीशियम हाइड्राइड का उपयोग करके बिना परमाणु सामग्री के एक स्थायी आग का गोला उत्पन्न करता है।

हाइड्रोजन बम क्या है? 

  • हाइड्रोजन बम या थर्मोन्यूक्लियर बम पारंपरिक रूप से दो-चरणीय विस्फोट प्रक्रिया का अनुसरण करता है:
    • प्राथमिक (विखंडन) ट्रिगर: इसमें यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 जैसे विखंडनीय सामग्री का उपयोग करके अत्यधिक ऊष्मा और दाब उत्पन्न किया जाता है।
    • द्वितीयक (संलयन) चरण: इन चरम परिस्थितियों में हाइड्रोजन के समस्थानिक (ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) संधन प्रक्रिया में प्रवेश करते हैं, जिससे एक साधारण विखंडन बम की तुलना में कई गुना अधिक ऊर्जा निकलती है।

विखंडनीय सामग्री रहित हाइड्रोजन बम क्या है? 

  • चीन के इस हाइड्रोजन बम नवाचार में पारंपरिक विखंडन-आधारित ट्रिगर को उन्नत इग्निशन सिस्टम से बदला गया है, जैसे कि:
    • जड़त्वीय संपीड़न संधन (ICF) जिसमें उच्च-शक्ति वाले लेजर का उपयोग किया जाता है, या
    • चुंबकीय संपीड़न जिसे ज़ी-पिंच प्लाज्मा प्रणाली जैसी तकनीकों से संचालित किया जाता है।
  • ये प्रणालियाँ हाइड्रोजन समस्थानिकों (जैसे ड्यूटेरियम और ट्रिटियम) की एक गोली को संपीड़ित और गर्म करके संलयन प्रक्रिया प्रारंभ करती हैं, बिना यूरेनियम या प्लूटोनियम का उपयोग किए।

चिंताएँ क्या हैं?

  • कानूनी चूक: परमाणु अप्रसार संधि (NPT) और व्यापक परीक्षण प्रतिबंध संधि (CTBT) के अंतर्गत, परमाणु हथियार मुख्य रूप से विखंडनीय सामग्री के उपयोग से परिभाषित होते हैं।
    • विखंडनीय सामग्री रहित संलयन उपकरण इन संधियों से बच निकलेंगे, जिससे वर्तमान वैश्विक परमाणु हथियार नियंत्रण ढाँचा चुनौतीपूर्ण हो जाएगा।
  • विकास की आसानी: संधन ईंधन (जैसे ड्यूटेरियम, ट्रिटियम) विखंडनीय सामग्री की तरह कठोर रूप से नियंत्रित नहीं होते।
  • दोहरी उपयोग कठिनाई: संधन प्रौद्योगिकियाँ नागरिक अनुसंधान और ऊर्जा कार्यक्रमों में समाहित होती हैं, जिससे इनका दोहरा उपयोग ट्रैक करना कठिन हो जाता है।
  • प्रसार जोखिम: दुष्ट राष्ट्र और आतंकवादी समूह इस नई तकनीक का उपयोग थर्मोन्यूक्लियर हथियारों के लिए कर सकते हैं।
  • असममित युद्ध प्रभाव: छोटे आकार, उच्च विस्फोट शक्ति और गैर-रेडियोधर्मी बमों का उपयोग विभिन्न परिस्थितियों में हो सकता है:
    • गुप्त अभियानों में
    • ग्रे-ज़ोन युद्ध उपकरण के रूप में
    • सीमाओं के पार आसानी से तस्करी के लिए
    • औद्योगिक दुर्घटनाओं के नाम पर

आगे की राह

  • अंतरराष्ट्रीय कानून का पुनर्परिभाषण: CTBT को संशोधित करके गैर-विखंडनीय थर्मोन्यूक्लियर परीक्षणों को शामिल करना आवश्यक है। परमाणु हथियारों की परिभाषा को केवल विखंडनीय सामग्री के आधार पर नहीं, बल्कि ऊर्जा उत्पादन के आधार पर पुनर्विचार करना चाहिए।
  • सत्यापन प्रणाली: अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के अंतर्गत संधन हथियार सत्यापन निकाय (FWVB) बनाना, जिसे रासायनिक हथियार निषेध संगठन (OPCW) के आधार पर मॉडल किया जाए।
  • भारत के लिए रणनीतिक अनिश्चितता: भारत, अपनी विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक सिद्धांत के अंतर्गत, अब रणनीतिक अनिश्चितता का सामना कर रहा है। इसलिए, उसे गैर-रेडियोधर्मी संधन विस्फोटों का पता लगाने वाली प्रौद्योगिकियों में निवेश करना चाहिए।
परमाणु संलयन
– यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें दो हल्के परमाणु नाभिक मिलकर एक भारी नाभिक बनाते हैं, जिससे इस प्रक्रिया में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न होती है।
– यह प्रक्रिया वैसी ही है जैसी हमारे सूर्य सहित तारों को शक्ति प्रदान करती है। 
– सबसे सामान्य संलयन प्रतिक्रिया में हाइड्रोजन के समस्थानिक शामिल होते हैं: ड्यूटेरियम और ट्रिटियम। 
– जब ये समस्थानिक आपस में जुड़ते हैं, तो वे हीलियम बनाते हैं और बड़ी मात्रा में ऊर्जा के साथ एक न्यूट्रॉन छोड़ते हैं।
परमाणु संलयन

Source: ET

 

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