अधिक प्रभावी और न्यायसंगत नैदानिक ​​परीक्षणों के लिए वैश्विक मार्गदर्शन

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य

समाचार में

  • विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सभी आय स्तरों को लक्ष्य करते हुए वैश्विक स्तर पर नैदानिक ​​परीक्षण डिजाइन, संचालन और निगरानी में सुधार के लिए नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

परिचय

  • यह मार्गदर्शन विश्व स्वास्थ्य सभा के संकल्प WHA 75.8 के आधार पर विकसित किया गया था, जिसमें 48 देशों के लगभग 3,000 हितधारकों से इनपुट लिया गया था।
  • क्षेत्र: मार्गदर्शन में दवाओं, टीकों, निदान, निवारक देखभाल, डिजिटल स्वास्थ्य और पारंपरिक या हर्बल उपायों सहित स्वास्थ्य हस्तक्षेपों की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए परीक्षण शामिल हैं।
  • इसका उद्देश्य विश्व भर में सुरक्षित और प्रभावी स्वास्थ्य हस्तक्षेपों तक पहुँच में तेजी लाने के लिए देश के नेतृत्व वाले अनुसंधान और विकास (R&D) को मजबूत करना है।

मुख्य निष्कर्ष

  • नैदानिक परीक्षणों में वैश्विक असमानताएँ: उच्च आय वाले देशों (HIC) और निम्न तथा मध्यम आय वाले देशों (LMIC) के बीच परीक्षणों की संख्या में विभाजन है (2022 में HIC में 27,133 बनाम LMIC में 24,791)।
    • LMIC को प्रायः बीमारी के भार के कारण परीक्षणों में शामिल किया जाता है, लेकिन परिणामों का उपयोग मुख्य रूप से HIC में अनुमोदन के लिए किया जाता है, जिससे LMIC पीछे रह जाते हैं।
  • कमज़ोर समूहों का सीमित प्रतिनिधित्व: गर्भवती महिलाओं ने 5% से भी कम परीक्षणों में भाग लिया, और 2022 में केवल 13% परीक्षणों में बच्चों को शामिल किया गया, जिससे साक्ष्य की गुणवत्ता कम हुई तथा इन समूहों के लिए हस्तक्षेपों तक पहुँच कम हुई।
  • कमज़ोर जनसँख्या को शामिल न किए जाने से उनके लिए उपचार के विकल्प सीमित हो जाते हैं और स्वास्थ्य संबंधी सिफारिशों में उनका भरोसा कम हो जाता है।

अनुशंसाएँ

  • राष्ट्रीय प्राधिकरण: पहली बार, WHO ने स्वास्थ्य अधिकारियों, विनियामकों और वित्तपोषकों को बेहतर नैदानिक ​​परीक्षणों की सुविधा के लिए सिफारिशें प्रस्तुत की हैं।
    • यह खराब परीक्षण डिजाइन, सीमित प्रतिभागी विविधता, बुनियादी ढांचे की कमी और नौकरशाही की अक्षमताओं जैसी चुनौतियों का समाधान करता है।
  • प्रतिभागियों की विविधता की आवश्यकता: WHO साक्ष्य की गुणवत्ता और प्रयोज्यता में सुधार के लिए विविध प्रतिभागियों, विशेष रूप से कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों जैसे गर्भवती महिलाओं (परीक्षणों में 5% से कम) और बच्चों (परीक्षणों में 13%) को शामिल करने पर बल देता है।
  • कमजोर समूहों पर ध्यान दें:गर्भवती, स्तनपान कराने वाली महिलाओं और जोखिम वाली जनसँख्या को परीक्षणों में शामिल करने के लिए विशेष मार्गदर्शन, प्रक्रिया में प्रारंभिक रूप से सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई।
    • विशेष रूप से बच्चों के लिए सहमति और स्वीकृति के लिए उपयुक्त प्रक्रियाओं पर बल दिया गया है।
  • सामुदायिक जुड़ाव: WHO यह सुनिश्चित करने के लिए परीक्षणों में रोगी और समुदाय की भागीदारी को केंद्र में रखने की सिफारिश करता है कि अनुसंधान सार्वजनिक आवश्यकताओं के साथ संरेखित हो और विश्वास बनाए रखे।
  • राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र को दृढ करना: मार्गदर्शन राष्ट्रीय अनुसंधान और विकास पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने, निर्णय लेने में सुधार करने तथा स्वास्थ्य नवाचारों तक पहुंच में तेजी लाने के लिए स्थायी वित्तपोषण का आह्वान करता है।

Source : DTE