पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था
संदर्भ
- शिपिंग, बंदरगाह और जलमार्ग मंत्रालय ने भारत के समुद्री बुनियादी ढाँचे को आधुनिक बनाने, वैश्विक व्यापार उपस्थिति को मजबूत करने एवं स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रमुख पहल प्रारंभ की।
प्रारंभ की गई पहलें
- एक राष्ट्र-एक बंदरगाह प्रक्रिया (ONOP): इसका उद्देश्य भारत के प्रमुख बंदरगाहों में परिचालन को मानकीकृत एवं सुव्यवस्थित करना, अकुशलता, परिचालन में विलंब और लागत को कम करना है।
- सागर अंकलन – लॉजिस्टिक्स पोर्ट परफॉरमेंस इंडेक्स (LPPI): भारत के बंदरगाहों की दक्षता और वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए एक उपकरण, जो कार्गो हैंडलिंग एवं टर्नअराउंड समय जैसे प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों को मापता है।
- भारत ग्लोबल पोर्ट्स कंसोर्टियम: भारत की समुद्री पहुँच का विस्तार करके और व्यापार लचीलापन बढ़ाकर वैश्विक व्यापार को मजबूत करना।
- मैत्री (अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और विनियामक इंटरफेस के लिए मास्टर एप्लीकेशन) ऐप: व्यापार प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करने, नौकरशाही संबंधी अनावश्यकताओं को कम करने और मंजूरी में तीव्रता लाने के लिए, व्यापार करने में आसानी के लिए भारत की प्रतिबद्धता को मजबूत करना।
- भारत समुद्री सप्ताह (27-31 अक्टूबर, 2025): भारत की समुद्री विरासत और विकास का जश्न मनाने के लिए एक द्वि-वार्षिक वैश्विक समुद्री कार्यक्रम, जिसमें 100 देशों एवं 100,000 प्रतिनिधियों के भाग लेने की संभावना है।
भारत का समुद्री क्षेत्र
- सामरिक स्थिति: विश्व के व्यस्ततम शिपिंग मार्गों पर स्थित, भारत एक प्रमुख व्यापारिक केंद्र और उभरती हुई वैश्विक शक्ति है।
- भारत का समुद्री क्षेत्र अवलोकन: मात्रा के हिसाब से भारत के 95% व्यापार और मूल्य के हिसाब से 70% व्यापार को संभालता है, तथा बंदरगाह अवसंरचना अर्थव्यवस्था के लिए महत्त्वपूर्ण है।
- कार्गो-हैंडलिंग में वृद्धि: 2014-15 और 2023-24 के बीच, प्रमुख बंदरगाहों ने अपनी वार्षिक कार्गो-हैंडलिंग क्षमता में 87.01% की वृद्धि की।
- व्यापारिक निर्यात में वृद्धि: भारत का व्यापारिक निर्यात वित्त वर्ष 23 में बढ़कर 451 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया, जो वित्त वर्ष 22 में 417 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- समुद्री क्षेत्र का महत्त्व: भारत 16वाँ सबसे बड़ा समुद्री राष्ट्र है, वैश्विक शिपिंग में इसका प्रमुख स्थान है, तथा प्रमुख व्यापार मार्ग इसके जलक्षेत्र से होकर गुजरते हैं।
- भावी लक्ष्य: भारत ने समुद्री क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए 2035 तक बंदरगाह अवसंरचना परियोजनाओं में 82 बिलियन अमेरिकी डॉलर के निवेश की रूपरेखा तैयार की है।
- भारत एक दशक के अन्दर अपने बेड़े में कम से कम 1,000 जहाज़ों का विस्तार करने के लिए एक नई शिपिंग कंपनी स्थापित करने की योजना बना रहा है।

चुनौतियाँ
- बुनियादी ढाँचे का अभाव: कुछ बंदरगाहों पर अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा और पुरानी सुविधाएँ, क्षमता और दक्षता को सीमित कर रही हैं।
- भीड़भाड़: प्रमुख बंदरगाहों पर यातायात की अधिकता के कारण विलंब, अधिक समय लगना, तथा उत्पादकता में कमी आना।
- पर्यावरण संबंधी चिंताएँ: प्रदूषण एवं स्थिरता संबंधी मुद्दे, जिनमें जहाजों और बंदरगाह परिचालनों से होने वाले उत्सर्जन भी शामिल हैं।
- रसद संबंधी बाधाएँ: बंदरगाहों, सड़कों और रेलवे के बीच अकुशल परिवहन संपर्क, जिससे माल की सुचारू आवाजाही प्रभावित होती है।
- वैश्विक प्रतिस्पर्धा: अन्य वैश्विक समुद्री केन्द्रों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा के कारण निरंतर निवेश और आधुनिकीकरण की आवश्यकता है।
सरकार की पहल
- सागरमाला कार्यक्रम: भारत के समुद्र तट और नौगम्य जलमार्गों का लाभ उठाने पर केंद्रित है।
- बंदरगाह अवसंरचना, तटीय विकास और कनेक्टिविटी का समर्थन करता है।
- तटीय घाट, रेल/सड़क संपर्क, मछली बंदरगाह, क्रूज टर्मिनल जैसी परियोजनाओं के लिए वित्तीय सहायता।
- मैरीटाइम इंडिया विज़न 2030 (MIV 2030): इसका लक्ष्य 2030 तक भारत को शीर्ष 10 जहाज निर्माण राष्ट्रों में शामिल करना तथा विश्व स्तरीय, कुशल और सतत् समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना है।
- इसमें दस प्रमुख समुद्री क्षेत्रों में 150 से अधिक पहल शामिल हैं।
- अंतर्देशीय जलमार्ग विकास: भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (IWAI) द्वारा 26 नए राष्ट्रीय जलमार्गों की पहचान की गई।
- वैकल्पिक, सतत् परिवहन उपलब्ध कराता है, सड़क/रेल भीड़भाड़ को कम करता है।
- ग्रीन टग ट्रांजिशन प्रोग्राम (GTTP): इसका उद्देश्य ईंधन आधारित बंदरगाह टगों को पर्यावरण अनुकूल, सतत् ईंधन चालित टगों से प्रतिस्थापित करना है।
- प्रमुख बंदरगाहों में परिवर्तन 2040 तक पूरा हो जाएगा।
- सागरमंथन वार्ता: भारत को समुद्री वार्ता के लिए वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए एक वार्षिक समुद्री रणनीतिक वार्ता।
- समुद्री विकास निधि: बंदरगाहों और शिपिंग बुनियादी ढाँचे के आधुनिकीकरण और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए दीर्घकालिक वित्तपोषण हेतु 25,000 करोड़ रुपये का कोष।
- जहाज निर्माण वित्तीय सहायता नीति (SBFAP 2.0): भारतीय शिपयार्डों को वैश्विक दिग्गजों के साथ प्रतिस्पर्धा करने में सहायता करने के लिए आधुनिकीकरण किया गया।
निष्कर्ष
- भारत का समुद्री क्षेत्र महत्त्वपूर्ण वृद्धि के लिए तैयार है, जो इसकी रणनीतिक पहलों और सरकारी योजनाओं से स्पष्ट है।
- सागरमंथन के पहले संस्करण ने वैश्विक समुद्री अभिकर्त्ता बनने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया है, जिसमें हितधारकों को स्थिरता, कनेक्टिविटी एवं शासन जैसे प्रमुख विषयों पर चर्चा करने के लिए एक साथ लाया गया है।
- ये प्रयास भारत के समुद्री क्षेत्र को एक सतत् , नवीन और भविष्य के लिए तैयार पारिस्थितिकी तंत्र की ओर ले जाएँगे, जिससे वैश्विक समुद्री परिदृश्य में एक केंद्रीय अभिकर्त्ता के रूप में इसका स्थान सुनिश्चित होगा।
Source: PIB
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