भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय के लिए कार्य तंत्र (WMCC)

पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सन्दर्भ

  • हाल ही में भारत-चीन सीमा मामलों पर परामर्श एवं समन्वय कार्य तंत्र (WMCC) की 31वीं बैठक बीजिंग में आयोजित हुई।

WMCC के बारे में

  • यह भारत और चीन के मध्य सीमा संबंधी मुद्दों के संचार, समन्वय और प्रबंधन को सुविधाजनक बनाने के लिए स्थापित एक संस्थागत ढांचा है।
  •  इसे 2012 में भारत-चीन समझौते के माध्यम से स्थापित किया गया था।
  •  यह सीमा मामलों के बारे में बेहतर संस्थागत सूचना विनिमय की आवश्यकता के जवाब के रूप में उभरा।
  •  इस तरह के तंत्र का विचार पहली बार 2010 में चीन के तत्कालीन प्रीमियर वेन जियाबाओ द्वारा सुझाया गया था।

संरचना और कार्य

  • WMCC में दोनों देशों के विदेश और रक्षा मंत्रालयों के प्रतिनिधि सम्मिलित हैं।
  •  इसका प्राथमिक उद्देश्य सीमा समस्याओं का समाधान करना, संचार को बढ़ाना और सहयोग को बढ़ावा देना है। 
  • विशेष रूप से, WMCC भारत-चीन सीमा क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है, जहाँ ऐतिहासिक रूप से तनाव और विवाद उपस्थित रहे हैं।

भारत-चीन सीमा मामलों पर WMCC की बैठक

  • 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर गतिरोध शुरू होने के पश्चात् इसे सक्रिय किया गया था। 
  • चर्चा ‘गहन, रचनात्मक और दूरदर्शी थी और दोनों पक्ष स्थापित राजनयिक तथा सैन्य चैनलों के माध्यम से गति बनाए रखने पर सहमत हुए। 
  • यह वार्ता ऐसे संकेतों के मध्य हुई है कि दोनों देश पूर्वी लद्दाख में LAC पर गतिरोध को हल करने के प्रयास कर रहे हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)
– LAC वह सीमांकन है जो भारतीय-नियंत्रित क्षेत्र को चीनी-नियंत्रित क्षेत्र से अलग करता है। 
– भारत LAC को 3,488 किलोमीटर लंबा मानता है, जबकि चीनी इसे केवल 2,000 किलोमीटर के आस-पास मानते हैं। 
– इसे तीन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है:
1. पूर्वी क्षेत्र जो अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम तक विस्तारित है; 
2. मध्य क्षेत्र जो उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में विस्तारित है, 
3. और पश्चिमी क्षेत्र जो लद्दाख में विस्तारित है।
– अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम से जुड़े पूर्वी क्षेत्र में LAC को मैकमोहन रेखा कहा जाता है जो 1,140 किलोमीटर लंबी है।



भारत-चीन सीमा पर प्रमुख टकराव बिंदुदेपसांग मैदान:
– यह क्षेत्र लद्दाख के सबसे उत्तरी भाग में स्थित है और यहाँ पहले भी चीनी सैनिकों की घुसपैठ देखी गई है।
डेमचोक: यह क्षेत्र पूर्वी लद्दाख में स्थित है और यहाँ भारत तथा चीन के मध्य सीमा को लेकर विवाद रहा है।
पैंगोंग झील: यह क्षेत्र दोनों देशों के मध्य एक प्रमुख टकराव का बिंदु रहा है, जहाँ चीनी सैनिक इस क्षेत्र में LAC पर यथास्थिति को परिवर्तित करने का प्रयास कर रहे हैं।
गोगरा और हॉट स्प्रिंग्स: ये दोनों क्षेत्र पूर्वी लद्दाख में स्थित हैं और हाल के वर्षों में यहाँ भारतीय तथा चीनी सैनिकों के बीच गतिरोध देखा गया है।
अरुणाचल प्रदेश: इस पूर्वोत्तर भारतीय राज्य पर चीन अपने क्षेत्र के भाग के रूप में दावा करता है और यह दोनों देशों के बीच विवाद का एक प्रमुख बिंदु रहा है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा से किस प्रकार भिन्न है?
– नियंत्रण रेखा 1948 में कश्मीर युद्ध के पश्चात् संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय की गई युद्ध विराम रेखा से उभरी है। 
– इसे 1972 में दोनों देशों के बीच शिमला समझौते के बाद नियंत्रण रेखा के रूप में नामित किया गया था। इसे दोनों सेनाओं के DGMOs द्वारा हस्ताक्षरित मानचित्र पर चित्रित किया गया है और इसे कानूनी समझौते की अंतरराष्ट्रीय मान्यता प्राप्त है।
– LAC केवल एक अवधारणा है , इस पर दोनों देशों के बीच सहमति नहीं है, न ही इसे मानचित्र पर दर्शाया गया है और न ही जमीन पर इसका सीमांकन किया गया है।

भारत और चीन के लिए शांति का महत्व

  • आर्थिक सहयोग: भारत एवं चीन विश्व की दो सबसे बड़ी तथा सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएँ हैं और बेहतर संबंध व्यापार व निवेश को बढ़ाने में सहायता कर सकते हैं।
  • क्षेत्रीय स्थिरता: भारत तथा चीन एशिया की दो प्रमुख शक्तियाँ हैं और उनके संबंधों का क्षेत्रीय स्थिरता पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
  • सीमा सुरक्षा: सीमा सुरक्षा बनाए रखने और सीमा पर किसी भी संघर्ष या गलतफहमी से बचने के लिए दोनों देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंध आवश्यक हैं।
  • भू-राजनीति: भारत तथा चीन दोनों वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य में प्रमुख खिलाड़ी हैं जिनका शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व अधिक स्थिर और पूर्वानुमानित अंतर्राष्ट्रीय वातावरण बनाने के लिए आवश्यक है।

शांति प्रक्रिया में चुनौतियाँ

  • सैन्य निर्माण: सीमा पर दोनों देशों द्वारा सैन्य निर्माण ने तनाव में वृद्धि की है और शांति प्रक्रिया को तथा अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
  • ऐतिहासिक मुद्दे: 1962 के चीन-भारत युद्ध सहित ऐतिहासिक मुद्दे दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रभावित करते रहे हैं।
  • सीमा विवाद: कई दौर की बातचीत के बावजूद, दोनों पक्ष सीमा विवाद, विशेषकर LACपर, के स्थायी समाधान तक नहीं पहुंच पाए हैं।

आगे की राह

  • भारत-चीन शांति प्रक्रिया के लिए इन चुनौतियों का समाधान करने और आपसी विश्वास तथा समझ बनाने के लिए दोनों पक्षों की ओर से निरंतर प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।
  • सैन्य और कूटनीतिक माध्यमों से चर्चा जारी रखने तथा सीमा पर स्थिति को स्थिर करने के लिए दोनों देशों के नेताओं द्वारा बनाई गई महत्वपूर्ण सहमति को सक्रिय रूप से लागू करने की आवश्यकता है।
  • कुल मिलाकर, भारत और चीन के बीच शांति दोनों देशों के आर्थिक, राजनीतिक तथा सामरिक हितों के साथ-साथ क्षेत्रीय एवं वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है।

Source: TH