भारत उल्लेखनीय वृद्धि के साथ वैश्विक विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था

संदर्भ

  • भारत के विनिर्माण क्षेत्र में इस वर्ष उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है, जो एक वैश्विक महाशक्ति के रूप में इसके परिवर्तन को रेखांकित करती है।

परिचय

  • खिलौनों के निर्यात में 239% तथा मोबाइल फोन उत्पादन में 600% की वृद्धि हुई।
  • 2024 तक भारत 700 बिलियन डॉलर से अधिक के सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडार वाले शीर्ष चार देशों में सम्मिलित हो जाएगा।
  • वैश्विक नवाचार सूचकांक 2024 में देश 2015 के 81वें स्थान से ऊपर चढ़कर 39वें स्थान पर पहुँच गया।

भारत का विनिर्माण क्षेत्र

  • विनिर्माण निर्यात ने वित्त वर्ष 23 के दौरान 6.03% की वृद्धि के साथ 447.46 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अपना अब तक का उच्चतम वार्षिक निर्यात दर्ज किया है।
  • वर्ष 2030 तक भारतीय मध्यम वर्ग की वैश्विक खपत में 17% हिस्सेदारी के साथ दूसरी सबसे बड़ी हिस्सेदारी होने की संभावना है।
  • वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही के तिमाही अनुमान के अनुसार, वर्तमान मूल्यों पर भारत का सकल मूल्य वर्धन (GVA) 770.08 बिलियन अमेरिकी डॉलर आंका गया था।
  • भारत का ई-कॉमर्स निर्यात 2030 तक वार्षिक 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, जिससे कुल निर्यात 2 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने में सहायता मिलेगी।
  • वित्त वर्ष 2024 में भारत का स्मार्टफोन निर्यात 42% बढ़कर 15.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया, जिसमें अमेरिका शीर्ष गंतव्य रहा।

भारत के विनिर्माण क्षेत्र के समक्ष चुनौतियाँ

  • तकनीकी अंतर: भारतीय विनिर्माण उद्योग स्वचालन, IoT और AI जैसी उद्योग 4.0 प्रौद्योगिकियों को अपनाने में पिछड़ रहा है, जिससे वैश्विक प्रतिस्पर्धा कम हो रही है।
  • कौशल अंतर: भारत में उपलब्ध कार्यबल के कौशल और आधुनिक विनिर्माण की आवश्यकताओं के बीच एक महत्त्वपूर्ण अंतर है।
  • आपूर्ति शृंखला में व्यवधान: आयातित कच्चे माल और घटकों, विशेष रूप से चीन से, पर अत्यधिक निर्भरता के कारण इस क्षेत्र को वैश्विक आपूर्ति शृंखला में व्यवधानों का सामना करना पड़ता है।
  • शासन संबंधी मुद्दे: औद्योगिक नीतियों में लगातार परिवर्तन तथा उनके कार्यान्वयन में विलंब से निवेशकों के लिए अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्धा: भारत को चीन जैसे देशों से कठोर प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ बड़े पैमाने की अर्थव्यवस्था और अधिक कुशल बुनियादी ढाँचे के कारण विनिर्माण लागत कम है।

सरकार द्वारा उठाए गए कदम

  • वस्तु एवं सेवा कर (GST): GST के लागू होने से अप्रत्यक्ष कराधान और स्वचालित कर अनुपालन सुव्यवस्थित हो गया, जिससे व्यवसायों का भार कम हो गया।
  • व्यापार को आसान बनाने के लिए कॉर्पोरेट करों में कटौती के साथ-साथ निर्माण परमिट को सरल बनाया गया तथा पुराने कानूनों को समाप्त किया गया।
  • FDI नीति: कुछ प्रतिबंधित क्षेत्रों को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्र 100% FDI की अनुमति देते हैं।
    • उदाहरण के लिए, रक्षा उद्योग में स्वचालित मार्ग से 74% तथा सरकारी मार्ग से 100% FDI की अनुमति है।
  • मेक इन इंडिया और डिजिटल इंडिया जैसी पहलों, बेहतर बुनियादी ढाँचे एवं व्यापार करने में आसानी, तथा विभिन्न प्रोत्साहनों के कारण घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा मिला है और विदेशी निवेश आकर्षित हुआ है।
  • भारत और जर्मनी के बीच सहयोग कार्यक्रम मेक इन इंडिया मिटेलस्टैण्ड (MIIM) का ध्यान लघु एवं मध्यम आकार की जर्मन कंपनियों को भारत में निवेश और विनिर्माण के लिए प्रोत्साहित करके नवाचार को बढ़ावा देने तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने पर केंद्रित है।
  • जापान-भारत मेक-इन-इंडिया विशेष वित्त सुविधा: इस निधि का उद्देश्य आवश्यक बुनियादी ढाँचे के विकास सहित जापानी कंपनियों के प्रत्यक्ष निवेश और जापान से भारत तक व्यापार को बढ़ावा देना है।
  • उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना: PLI योजना ने फॉक्सकॉन, विस्ट्रॉन और पेगाट्रॉन जैसी प्रमुख स्मार्टफोन कंपनियों को अपने आपूर्तिकर्त्ताओं को भारत में स्थानांतरित करने के लिए प्रेरित किया है, जिसके परिणामस्वरूप देश में उच्च-स्तरीय फोन का निर्माण हो रहा है।

आगे की राह

  • भारत ने 15 अरब डॉलर से अधिक के निवेश से तीन सेमीकंडक्टर संयंत्रों के निर्माण को मंजूरी दी।
    • यह पहल भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने और विभिन्न उन्नत प्रौद्योगिकी रोजगारों का सृजन करने के लक्ष्य के अनुरूप है।
  • विश्व स्तरीय बुनियादी ढाँचे के निर्माण के लिए मेगा इन्वेस्टमेंट टेक्सटाइल्स पार्क (MITRA) योजना से वैश्विक उद्योग चैंपियनों का निर्माण होगा, जिससे पैमाने और समूहन की अर्थव्यवस्थाओं से लाभ होगा।
  • भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय की पहल ‘समर्थ उद्योग भारत 4.0’ अथवा ‘समर्थ उन्नत विनिर्माण एवं तीव्र परिवर्तन केन्द्र’ से पूँजीगत वस्तुओं के बाजार में विनिर्माण क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ने की संभावना है।

Source: AIR