पाठ्यक्रम: GS2/कल्याणकारी योजनाएं; GS3/इकोनॉमी; वित्तीय समावेशन
संदर्भ
- भारत में राजनीतिक दलों के लिए नकद हस्तांतरण एक लोकप्रिय साधन बन गया है, जिसे प्रायः विभिन्न सामाजिक-आर्थिक मुद्दों के समाधान के रूप में प्रचारित किया जाता है।
- हालाँकि, इस बात पर चिंता बढ़ रही है कि ये योजनाएं गरीबी, बेरोजगारी और कृषि संकट जैसी समस्याओं के मूल कारणों को दूर करने के बजाय चुनावी लाभ के लिए अधिक केंद्रित हैं।
भारत में नकद हस्तांतरण योजनाएँ
- नकद हस्तांतरण योजनाओं का उद्देश्य वंचितों को प्रत्यक्ष वित्तीय सहायता प्रदान करना है, तथा यह सुनिश्चित करना है कि लाभ बिना किसी मध्यस्थ के इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचे।
- वित्तीय वर्ष 2024-25 तक, DBT के माध्यम से हस्तांतरित संचयी राशि ₹40,91,115 करोड़ है, जो 54 मंत्रालयों की 320 योजनाओं को कवर करती है।
भारत में नकद हस्तांतरण योजनाओं का महत्त्व
- स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित करना: गरीबों की क्रय शक्ति में वृद्धि करके, नकद हस्तांतरण स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को प्रोत्साहित कर सकता है, विशेष रूप से आर्थिक मंदी के दौरान।
- लाभार्थी इस धनराशि को आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं पर व्यय करेंगे, जिससे मांग बढ़ेगी और स्थानीय व्यवसायों को समर्थन मिलेगा।
- कार्यान्वयन में सुलभता: वित्तीय समावेशन के विस्तार के साथ, इन योजनाओं को लागू करना सरल है, जिससे मतदाताओं को प्रत्यक्ष, ठोस लाभ मिलेगा।
- सशक्तिकरण और समावेशन: दिल्ली में महिला सम्मान योजना जैसे कार्यक्रमों ने दिखाया है कि नकद हस्तांतरण महिलाओं की आर्थिक भागीदारी और समग्र सशक्तिकरण को बढ़ा सकता है।
- विनिमयीयता और बिना शर्त: लाभार्थी नकद हस्तांतरण को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि वे लचीले होते हैं और किसी भी उद्देश्य के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
- नौकरशाही को दरकिनार करना: ये योजनाएं प्रायः नौकरशाही की अकुशलताओं और स्थानीय बिचौलियों को दरकिनार कर देती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि लाभ इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचे।
- सकारात्मक परिणामों के साक्ष्य: अध्ययनों से पता चला है कि नकद हस्तांतरण के प्राप्तकर्ता प्रायः पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल पर पैसा व्यय करते हैं, जिससे समग्र कल्याण में सुधार होता है।
- उदाहरण के लिए, विभिन्न विकासशील देशों से प्राप्त साक्ष्य दर्शाते हैं कि नकद सहायता कार्यक्रमों से स्वास्थ्य और शिक्षा के बेहतर परिणाम सामने आए हैं।
DBT के अंतर्गत प्रमुख योजनाएँ
- प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) कार्यक्रम एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य सब्सिडी और वित्तीय लाभ को सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में स्थानांतरित करना है, जिससे लीकेज कम हो एवं पारदर्शिता सुनिश्चित हो।
- इसमें छात्रवृत्ति, सब्सिडी, मजदूरी, पेंशन और खाद्यान्न के बदले नकद राशि जैसी विभिन्न योजनाएं शामिल हैं।
- सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS): यह एक वित्तीय प्रबंधन मंच है जो DBT के कार्यान्वयन का समर्थन करता है।
- यह निधि प्रवाह पर नज़र रखने और प्रभावी निगरानी और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए कोर बैंकिंग समाधानों एवं राज्य कोषागारों के साथ एकीकृत होता है।
- पहल (प्रत्यक्ष हस्तान्तरित लाभ): यह सबसे बड़ी DBT योजनाओं में से एक है, जिसका लक्ष्य 29 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं। इसका उद्देश्य फर्जी लाभार्थियों को समाप्त करना तथा यह सुनिश्चित करना है कि सब्सिडी इच्छित प्राप्तकर्ताओं तक पहुंचे।
- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि 2019 (PM-किसान): यह किसानों को आय सहायता प्रदान करती है, जिसके अंतर्गत पात्र किसानों के बैंक खातों में प्रति वर्ष तीन समान किस्तों में 6,000 रुपये हस्तांतरित किए जाते हैं।
- प्रधानमंत्री जन धन योजना (PMJDY): वित्तीय समावेशन के उद्देश्य से बनाई गई यह योजना यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक परिवार को बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच मिले, जिससे प्रत्यक्ष हस्तांतरण संभव हो सके।
- राष्ट्रीय सामाजिक सहायता कार्यक्रम (NSAP): यह उन वृद्धों, विधवाओं और विकलांग व्यक्तियों को पेंशन प्रदान करता है जो आर्थिक गतिविधियों में भाग लेने में असमर्थ हैं।
- इसमें इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (IGNOAPS), राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना (IGNWPS) और राष्ट्रीय विकलांगता पेंशन योजना (IGNDPS) जैसी योजनाएं शामिल हैं।
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) और प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY) में लाभार्थियों को नकद प्रोत्साहन से संबंधित प्रावधान हैं।
- सशर्त नकद हस्तांतरण (CCT) योजनाएं: ये गरीब परिवारों को इस शर्त पर नकद राशि प्रदान करती हैं कि वे विशिष्ट मानदंडों को पूरा करें, जैसे कि बच्चों की स्कूल में उपस्थिति सुनिश्चित करना या स्वास्थ्य जांच में भाग लेना।
- इन योजनाओं का उद्देश्य सकारात्मक व्यवहार को प्रोत्साहित करना है जो मानव पूंजी विकास में योगदान देता है।
राज्य स्तरीय पहल
- महाराष्ट्र की ‘मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना’ पात्र महिलाओं को प्रति माह ₹1,500 प्रदान करती है, जबकि झारखंड की ‘मुख्यमंत्री मैया सम्मान योजना’ पात्र महिलाओं को प्रति माह ₹1,000 प्रदान करती है।
- ये योजनाएं एक व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा हैं, जहां राज्य राजनीतिक लामबंदी और कल्याण के साधन के रूप में नकदी हस्तांतरण का तेजी से उपयोग कर रहे हैं।
- तेलंगाना और ओडिशा जैसे राज्यों ने कृषि संकट को दूर करने के लिए नकद हस्तांतरण को अपनाया, एक मॉडल जिसे बाद में केंद्र सरकार ने 2019 में PM-किसान योजना के माध्यम से विस्तारित किया।
नकद हस्तांतरण से संबंधित चिंताएँ
- आर्थिक भार: राज्य की वित्तीय स्थिति पर पड़ने वाले दबाव को लेकर चिंताएं हैं। बड़े पैमाने पर नकद हस्तांतरण योजनाएं राज्य की वित्तीय स्थिति पर दबाव डाल सकती हैं, जिससे संभावित रूप से घाटा बढ़ सकता है और आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं पर व्यय कम हो सकता है।
- हालाँकि, साक्ष्य बताते हैं कि अच्छी तरह से प्रबंधित नकदी हस्तांतरण कार्यक्रम से आवश्यक रूप से राजकोषीय अस्थिरता उत्पन्न नहीं होती है। उदाहरण के लिए, नकदी हस्तांतरण योजनाओं में महत्वपूर्ण निवेश के बावजूद दिल्ली का बजट अधिशेष में रहा।
- बहुआयामी समस्याएं: गरीबी और कृषि संकट जैसे मुद्दे विभिन्न कारकों से प्रभावित होते हैं, जिनमें शिक्षा की कमी, अपर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल और पुरानी कृषि तकनीकें शामिल हैं।
- अल्पकालिक लाभ: ये योजनाएं प्रायः स्थायी समाधान के बजाय त्वरित समाधान के रूप में कार्य करती हैं, तथा दीर्घकालिक विकास के बजाय अल्पकालिक चुनावी लाभ पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
- नकद हस्तांतरण तत्काल राहत तो प्रदान करता है, लेकिन गरीबी और बेरोजगारी जैसे संकटों के मूल में मौजूद संरचनात्मक मुद्दों का समाधान करने में विफल रहता है।
- राजनीतिक उपकरण: राजनीतिक दलों ने चुनावी सफलता सुनिश्चित करने के लिए नकदी हस्तांतरण को रणनीति के रूप में तीव्रता से प्रयोग किया है।
- उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र एवं झारखंड में वर्तमान सरकारों ने महिला मतदाताओं को लक्षित कर नकदी हस्तांतरण योजनाओं का सफलतापूर्वक उपयोग किया, जिससे उनके पुनः निर्वाचित होने में महत्वपूर्ण योगदान मिला।
मुख्य अनुशंसाएँ
- पूरक, स्थानापन्न नहीं: अमर्त्य सेन जैसे विशेषज्ञ इस बात पर बल देते हैं कि नकद हस्तांतरण को खाद्यान्न जैसी वर्तमान सब्सिडी का पूरक होना चाहिए, न कि उसका स्थान लेना चाहिए।
- यह सुनिश्चित करता है कि कमजोर जनसंख्या, विशेषकर बच्चों एवं लड़कियों को आवश्यक पोषण सहायता मिलती रहे।
- अधिकारिता एवं कौशल विकास:गरीबी उन्मूलन के लिए केवल नकद हस्तांतरण पर्याप्त नहीं है।
- इसके साथ ही कौशल विकास एवं स्थायी आजीविका विकल्पों के सृजन के माध्यम से गरीबों को सशक्त बनाने के प्रयास भी किए जाने चाहिए।
- वितरणात्मक प्रभावों को संबोधित करना: यह विचार करना महत्वपूर्ण है कि परिवारों में नकद हस्तांतरण किस प्रकार वितरित किया जाता है।
- भोजन तक सीधी पहुंच बच्चों एवं लड़कियों के पक्ष में होती है, जिससे सामाजिक पूर्वाग्रह दूर होते हैं।
- यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि नकद हस्तांतरण का उपयोग पोषण संबंधी उद्देश्यों के लिए किया जाए तथा परिवारों में समान रूप से वितरित किया जाए।
- आर्थिक संस्थाओं का निर्माण: नकद हस्तांतरण को प्रभावी बनाने के लिए, विशेष तौर पर किसानों के लिए, स्वयं सहायता समूह संघों या किसान उत्पादक संगठनों जैसी सुदृढ़ आर्थिक संस्थाओं का होना आवश्यक है। ये संस्थाएँ गरीबों को बाज़ार में बेहतर शर्तों पर प्रतिस्पर्धा करने में सहायता प्रदान करती हैं.
निष्कर्ष एवं आगे की राह
- जबकि नकद हस्तांतरण सामाजिक सुरक्षा जाल को पूरक एवं विस्तारित कर सकते हैं, वे सुधारों में अधिक राज्य निवेश का विकल्प नहीं हो सकते। सतत विकास को प्राप्त करने के लिए, सामाजिक सुरक्षा जाल को सुदृढ़ करने और प्रणालीगत मुद्दों को संबोधित करने के उद्देश्य से व्यापक रणनीतियों में नकद हस्तांतरण को एकीकृत करना महत्वपूर्ण है।
- इसके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में निवेश को प्राथमिकता देने तथा चुनावी लाभ से परे जाकर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है।
- इन नकद हस्तांतरण कार्यक्रमों की स्थिरता सावधानीपूर्वक राजकोषीय नियोजन एवं प्राथमिकता निर्धारण पर निर्भर करती है। स्वास्थ्य सेवा एवं बुनियादी ढांचे जैसे अन्य आवश्यक व्ययों के साथ नकद हस्तांतरण को संतुलित करने की आवश्यकता है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] भारत में नकद हस्तांतरण कार्यक्रम किस सीमा तक सामाजिक कल्याण पहल का हिस्सा हैं? जांच कीजिए और बताइए कि किस सीमा तक वे राजनेताओं के लिए अल्पकालिक चुनावी समर्थन प्राप्त करने के साधन के रूप में कार्य करते हैं, जो संभावित रूप से दीर्घकालिक आर्थिक और सामाजिक विकास को कमजोर करते हैं? |
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