स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन: राज्य स्तरीय चुनौतियाँ और अवसर

पाठ्यक्रम: GS2/ स्वास्थ्य

  • प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन(PM-ABHIM) और स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा के लिए मानव संसाधन (HRHME) जैसी स्वास्थ्य क्षेत्र की पहलों के लिए केंद्रीय बजट का आवंटन राज्य स्तरीय कार्यान्वयन पर काफी हद तक निर्भर करता है।
    • इन केन्द्र प्रायोजित योजनाओं (CSS) के अंतर्गत राज्यों को लागत साझा करने और परिचालन प्रबंधन की आवश्यकता होती है।
महत्त्वपूर्ण पहलPM-ABHIM:
– स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्रों (AB-HWCs), ब्लॉक-स्तरीय सार्वजनिक स्वास्थ्य इकाइयों (BPHUs) और क्रिटिकल केयर अस्पताल ब्लॉकों (CCHBs) के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसका उद्देश्य भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों के लिए तैयारियों को बढ़ावा देना है।
– इसमें स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे को सुव्यवस्थित करने के लिए जिला सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं (IDPHLs) को एकीकृत करना शामिल है।
HRHME:
नए मेडिकल, नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की स्थापना करके चिकित्सा कर्मियों की कमी को दूर करने का प्रयास किया गया है।
– इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा तक पहुँच बढ़ाने के लिए जिला अस्पतालों को उन्नत करना और उन्हें नए मेडिकल कॉलेजों से जोड़ना है।

इससे संबंधित प्रमुख मुद्दे

  • कम फंड का उपयोग:
    • PM-ABHIM में 2022-23 में केवल 29% फंड का उपयोग किया गया। HRHME में भी फंड व्यय इसी प्रकार कम रहा।
    • जटिल अनुदान संरचना और ओवरलैपिंग फंडिंग स्ट्रीम जैसे कारकों ने कार्यान्वयन को धीमा कर दिया है। उदाहरण के लिए, 15वें वित्त आयोग से प्राप्त स्वास्थ्य अनुदान का केवल 45% ही उपयोग किया गया, जो प्रणाली की अक्षमताओं को प्रकट करती है।
  • निर्माण कार्य में देरी:
    • कई योजना घटकों में निर्माण कार्य शामिल होता है, जो प्रायः कठोर प्रक्रियाओं और प्रशासनिक बाधाओं के कारण विलंबित हो जाता है। इससे फंड अवशोषण दर प्रभावित होती है।
  • संकाय की कमी:
    • नव निर्मित मेडिकल कॉलेजों में शिक्षण संकाय की महत्त्वपूर्ण कमी है, विशेषकर उत्तर प्रदेश जैसे सशक्त कार्रवाई समूह (EAG) राज्यों में, जहाँ  30% शिक्षण पद रिक्त हैं। यह कमी विशेष रूप से ग्रामीण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHCs) में गंभीर है, जहाँ दो-तिहाई विशेषज्ञ पद खाली हैं।

राज्य स्तर पर वित्तीय बाधाएँ

  • राज्यों को PM-ABHIM और HRHME के अंतर्गत  बनाए गए स्वास्थ्य बुनियादी ढाँचे  को बनाए रखने की आवर्ती लागतों को वहन करना होगा।चूँकि  मानव संसाधनों के लिए केंद्र सरकार का समर्थन 2025-26 तक सीमित है, इसलिए राज्यों को दीर्घकालिक वित्तीय प्रतिबद्धताओं की योजना बनाने की आवश्यकता होगी।
  • इन स्वास्थ्य पहलों को बनाए रखने तथा अतिरिक्त लागतों को पूरा करने के लिए राजकोषीय फंड का सृजन आवश्यक होगा।

आगे की राह 

  • मानव संसाधन की कमी को दूर करना: नए चिकित्सा बुनियादी ढाँचे का पूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए शिक्षण संकाय और विशेषज्ञ रिक्तियों को भरना महत्त्वपूर्ण है। राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर बेहतर सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रक्रियाओं के माध्यम से फंड  उपयोग में सुधार करके कार्यान्वयन में तीव्रता लाने में मदद मिल सकती है।
  • दीर्घकालिक वित्तीय योजना: राज्यों को इन योजनाओं के अंतर्गत निर्मित बुनियादी ढाँचे को बनाए रखने के लिए आवश्यक आवर्ती व्यय की योजना बनाने की आवश्यकता है, ताकि 2025-26 से आगे भी स्थायी स्वास्थ्य सेवाएँ सुनिश्चित की जा सकें।
  • बुनियादी ढाँचे का विस्तार: शहरी केंद्रों से परे बुनियादी ढाँचे का विस्तार करना, विशेष रूप से कम सुविधा वाले क्षेत्रों में, क्षेत्रीय स्वास्थ्य असमानताओं को दूर करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

  • स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए केन्द्रीय बजट आबंटन की सफलता काफी हद तक राज्य स्तर पर चुनौतियों पर काबू पाने पर निर्भर करती है, जिसमें बेहतर फंड उपयोग, संकाय की कमी को दूर करना और दीर्घकालिक राजकोषीय योजना सुनिश्चित करना शामिल है।
  • केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोग, साथ ही बेहतर कार्यान्वयन तंत्र, इन पहलों को सार्थक स्वास्थ्य परिणामों में बदलने के लिए महत्त्वपूर्ण होंगे।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] राज्य स्तर पर स्वास्थ्य क्षेत्र की योजनाओं को लागू करने में होने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिए। संसाधनों का प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं?

Source: TH

 

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