भारत में डिजिटल तरीके से शासन को बढ़ावा देना

पाठ्यक्रम: GS2/शासन

संदर्भ

  • हाल के वर्षों में, भारत ने डिजिटल शासन की दिशा में एक महत्वाकांक्षी यात्रा प्रारंभ की है, जिसका उद्देश्य नागरिक सेवाओं को बढ़ाना और सरकारी कर्मचारियों की क्षमताओं को बढ़ाना है।
    • यह शासन संचालन के तरीके में एक आदर्श बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाया जाता है।
  • भारत ने डिजिटल माध्यमों से शासन को बढ़ाने, सरकारी सेवाओं की दक्षता, पारदर्शिता और पहुँच में सुधार के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने में महत्त्वपूर्ण प्रगति की है।

शासन में डिजिटल परिवर्तन के लाभ

  • बढ़ी हुई दक्षता: डिजिटल उपकरण प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करते हैं, जिससे सेवाएँ प्रदान करने में लगने वाला समय और प्रयास कम हो जाता है।
    • इससे निर्णय लेने में तेजी आती है और सेवा वितरण में सुधार होता है।
  • पारदर्शिता में वृद्धि: डिजिटल प्लेटफॉर्म सरकारी गतिविधियों की वास्तविक समय पर निगरानी करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे नागरिकों के लिए सूचना तक पहुँच आसान हो जाती है और अधिकारियों को जवाबदेह बनाना संभव हो जाता है।
    • इससे सरकार और जनता के मध्य विश्वास कायम करने में सहायता मिलती है।
  • बेहतर पहुँच: डिजिटल शासन पहल यह सुनिश्चित करती है कि सरकारी सेवाएँ सभी नागरिकों के लिए सुलभ हों, चाहे वे कहीं भी रहते हों।
    • यह विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों के लिए लाभदायक है, जहाँ सरकारी सेवाओं तक पहुँच पारंपरिक रूप से सीमित रही है।
  • लागत में कमी: स्वचालन और डिजिटलीकरण से सरकारी कार्यों में महत्त्वपूर्ण लागत बचत हुई है।
  • समावेशिता और नागरिक सहभागिता: डिजिटल प्लेटफॉर्म ने सरकारी सेवाओं को नागरिकों के लिए अधिक सुलभ बना दिया है, जिनमें दूरदराज के क्षेत्रों के लोग भी सम्मिलित हैं।
    • डिजिटल प्लेटफॉर्म नागरिकों को शासन प्रक्रियाओं में भाग लेने, अपनी राय व्यक्त करने और प्रतिक्रिया देने का अवसर प्रदान करते हैं। यह शासन के अधिक समावेशी एवं सहभागी स्वरूप को बढ़ावा देता है।

MeitY द्वारा प्रमुख पहल

  • डिजिटल इंडिया पहल: इसका उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलना है। यह तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है:
    • डिजिटल अवसंरचना: नागरिकों को मुख्य उपयोगिता के रूप में हाई-स्पीड इंटरनेट उपलब्ध कराना।
    • माँग पर शासन एवं सेवाएँ: नागरिकों को सरकारी सेवाओं की निर्बाध उपलब्धता सुनिश्चित करना।
    • नागरिकों का डिजिटल सशक्तिकरण: सार्वभौमिक डिजिटल साक्षरता और डिजिटल संसाधनों की उपलब्धता।
  • ई-गवर्नेंस सेवाएँ: सरकार ने सार्वजनिक सेवाओं को अधिक सुलभ बनाने के लिए विभिन्न ई-गवर्नेंस सेवाएँ प्रारंभ की हैं:
    • सामान्य सेवा केंद्र (CSCs): भारत भर में लगभग 6 लाख CSCs आवश्यक सरकारी सेवाओं तक पहुँच प्रदान करते हैं, तथा ग्रामीण समुदायों और सरकारी सेवाओं के बीच के बीच के अंतर को समाप्त करते  हैं।
    • उमंग ऐप: विभिन्न सरकारी विभागों की 1,200 से अधिक सेवाएँ प्रदान करने वाला एक एकीकृत मंच।
    • डिजिलॉकर: एक डिजिटल लॉकर सेवा जो नागरिकों को महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों को सुरक्षित रूप से संग्रहीत और साझा करने में सक्षम बनाती है।
  • साइबर सुरक्षा पहल
    • साइबर सुरक्षित भारत: इस पहल का उद्देश्य सरकारी विभागों में मुख्य सूचना सुरक्षा अधिकारियों (CISOs) और IT अधिकारियों को प्रशिक्षित करके साइबर सुरक्षा ढाँचे को बढ़ाना है।
    • अद्यतन CCTV विनियम: नए विनियमों में निगरानी गुणवत्ता और साइबर सुरक्षा में सुधार के लिए CCTV कैमरों के लिए कड़े सुरक्षा मानकों को अनिवार्य किया गया है।
  • उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ
    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और मशीन लर्निंग (ML): IIM विशाखापत्तनम जैसे संस्थानों के साथ साझेदारी में प्रशिक्षण कार्यक्रम शासन में AI को जिम्मेदारी से लागू करने पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
    • मेटावर्स: राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (NIC) सरकारी सेवाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिए मेटावर्स की क्षमता का पता लगा रहा है, जो नागरिकों को सरकारी सेवाओं के साथ बातचीत करने के लिए एक आभासी स्थान प्रदान करेगा।
  • क्षमता निर्माण: क्षमता निर्माण डिजिटल शासन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है। सरकार ने अधिकारियों को आवश्यक कौशल से युक्त करने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं:
    • CISO गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम: 250 से अधिक प्रतिभागियों को साइबर सुरक्षा उपायों में प्रशिक्षित किया गया है।
    • विशिष्ट साइबर सुरक्षा कार्यशालाएँ: नवंबर 2024 में केरल में आयोजित कार्यशाला जैसी कार्यशालाओं में राज्य के अधिकारियों को साइबर सुरक्षा उपायों में सुधार करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।

अन्य पहल

  • iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म: यह एक ऑनलाइन प्रशिक्षण पोर्टल है, जिसे 2020 में लॉन्च किया गया है, जिसका उद्देश्य सरकारी अधिकारियों को डेटा एनालिटिक्स, सार्वजनिक प्रशासन और डिजिटल प्रौद्योगिकियों में आवश्यक कौशल से युक्त करना है।
    • व्यक्तिगत शिक्षण पथों का लचीलापन निरंतर सुधार को बढ़ावा देता है, जो एक महत्त्वपूर्ण गुण है, जहाँ अनुकूलनशीलता सफलता को परिभाषित करती है।
  • ई-ऑफिस पहल: यह सरकारी कार्यप्रवाह को डिजिटल बनाती है, जिससे कागजी कार्रवाई पर निर्भरता अत्यधिक कम हो जाती है और परिचालन दक्षता बढ़ जाती है।
    • फ़ाइल प्रबंधन, कार्यप्रवाह एवं शिकायत निवारण को स्वचालित करके, यह पहल वास्तविक समय संचार और पारदर्शिता को बढ़ावा देती है।
  • सरकारी ई-मार्केटप्लेस (GeM): GeM जैसे प्लेटफार्मों के साथ खरीद प्रक्रियाओं को ऑनलाइन क्षेत्र में परिवर्तित करना, सरकारी खरीद में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI): इसने भारत में डिजिटल लेनदेन में क्रांति ला दी है, तथा वित्तीय लेनदेन के लिए एक निर्बाध और सुरक्षित मंच प्रदान किया है।
    • इसने वित्तीय समावेशन में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है, जिससे लाखों भारतीयों को बैंकिंग सेवाओं तक पहुँच प्राप्त हुई है।
  • डेटा सशक्तिकरण और संरक्षण वास्तुकला (DEPA): DEPA एक सहमति प्रबंधन उपकरण है जिसका उद्देश्य नागरिकों को उनकी व्यक्तिगत जानकारी पर अधिक नियंत्रण प्रदान करके उनके डेटा संरक्षण और गोपनीयता में सुधार करना है।
    • यह डिजिटल प्रौद्योगिकियों और डेटा गवर्नेंस में विश्वास पैदा करने के लिए महत्त्वपूर्ण है।
  • राष्ट्रीय डेटा केंद्र (NDC): इसने दिल्ली, पुणे, भुवनेश्वर और हैदराबाद जैसे शहरों में अत्याधुनिक राष्ट्रीय डेटा केंद्र स्थापित किए हैं। ये केंद्र सरकारी मंत्रालयों, राज्य सरकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए क्लाउड सेवाओं का समर्थन करते हैं, जिससे सरकारी कार्यों में निरंतरता सुनिश्चित होती है।
  • भारत की डिजिटल  PRAGATI (सक्रिय शासन और समय पर कार्यान्वयन) पहल: यह एक बहुउद्देश्यीय एवं बहु-मॉडल मंच है जिसका उद्देश्य आम आदमी की शिकायतों का समाधान करना और साथ ही केंद्र सरकार के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों तथा परियोजनाओं के साथ-साथ राज्य सरकारों द्वारा चिह्नित परियोजनाओं की निगरानी एवं समीक्षा करना है।
    • यह बड़े पैमाने की परियोजनाओं के निष्पादन में समन्वय, जवाबदेही और दक्षता बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का लाभ उठाता है।
    • इसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी को एकीकृत करके शासन को बढ़ाना, सहयोग को बढ़ावा देना, तथा तीन प्रमुख पहलुओं को एकीकृत करके जवाबदेही सुनिश्चित करना है: डिजिटल डेटा प्रबंधन, वास्तविक समय ट्रैकिंग, तथा उच्च स्तरीय समन्वय।

चिंताएँ और चुनौतियाँ

डिजिटल अवसंरचना:

  • अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा: प्रगति के बावजूद, भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अभी भी सुदृढ़ डिजिटल बुनियादी ढाँचे का अभाव है। इसमें अपर्याप्त ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी, अविश्वसनीय बिजली आपूर्ति एवं डिजिटल उपकरणों तक सीमित पहुँच शामिल है।
  • शहरी-ग्रामीण विभाजन: डिजिटल पहुँच और बुनियादी ढाँचे के मामले में शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों के मध्य असमानता एक महत्त्वपूर्ण चुनौती बनी हुई है। समावेशी डिजिटल शासन के लिए इस अंतर को समाप्त करना आवश्यक है।

डिजिटल साक्षरता:

  • डिजिटल कौशल का अभाव: जनसंख्या का एक बड़ा भाग, विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में, बुनियादी डिजिटल साक्षरता का अभाव रखता है। इससे डिजिटल गवर्नेंस पहलों तक पहुँचने और उनसे लाभ उठाने की उनकी क्षमता बाधित होती है।
  • सरकारी कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण: यह सुनिश्चित करना महत्त्वपूर्ण है कि सरकारी कर्मचारी डिजिटल उपकरणों और प्लेटफार्मों से अच्छी तरह परिचित हों। iGOT कर्मयोगी प्लेटफॉर्म जैसी पहल का उद्देश्य इस समस्या का समाधान करना है, लेकिन इसके लिए निरंतर प्रशिक्षण और कौशल उन्नयन आवश्यक है।

डेटा गोपनीयता और सुरक्षा:

  • गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: सरकारी सेवाओं के बढ़ते डिजिटलीकरण के साथ, विशाल मात्रा में व्यक्तिगत डेटा का संग्रह और भंडारण महत्त्वपूर्ण गोपनीयता संबंधी चिंताएँ उत्पन्न करता है। मजबूत डेटा सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना सर्वोपरि है।
  • साइबर सुरक्षा खतरे: साइबर खतरों में वृद्धि डिजिटल शासन के लिए एक महत्त्वपूर्ण जोखिम उत्पन्न करती है। संवेदनशील सरकारी डेटा की सुरक्षा एवं जनता का विश्वास बनाए रखने के लिए साइबर सुरक्षा ढाँचे और प्रोटोकॉल को मजबूत करना आवश्यक है।

नीति एवं नियामक ढाँचा:

  • विकासशील नीतियाँ: डिजिटल परिवर्तन की तीव्र गति के लिए चुस्त और अनुकूल नीति ढाँचे की आवश्यकता होती है। वर्तमान नियम प्रायः तकनीकी प्रगति से पीछे रह जाते हैं, जिसके कारण उन्हें निरंतर अद्यतन और संशोधित करने की आवश्यकता होती है।
  • अंतरविभागीय समन्वय: प्रभावी डिजिटल शासन के लिए विभिन्न सरकारी विभागों के मध्य निर्बाध समन्वय की आवश्यकता होती है। नौकरशाही की बाधाओं को दूर करना और सहयोग को बढ़ावा देना एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है।

समावेशिता और सुलभता:

  • समावेशिता सुनिश्चित करना: डिजिटल शासन समावेशी होना चाहिए तथा हाशिए पर पड़े और कमजोर समूहों सहित समाज के सभी वर्गों की जरूरतों को पूरा करना चाहिए। इसके लिए डिजिटल सेवाओं को सभी के लिए सुलभ बनाने हेतु लक्षित प्रयासों की आवश्यकता है।
  • भाषाई बाधाएँ: भारत की भाषाई विविधता डिजिटल सेवाएँ प्रदान करने में चुनौती पेश करती है। व्यापक पहुँच सुनिश्चित करने के लिए बहुभाषी प्लेटफॉर्म और सामग्री विकसित करना आवश्यक है।

परिवर्तन प्रबंधन:

  • परिवर्तन का प्रतिरोध: डिजिटल शासन में परिवर्तन के लिए प्रक्रियाओं और कार्यप्रवाह में महत्त्वपूर्ण परिवर्तन करना आवश्यक है। सरकारी कर्मचारियों और हितधारकों के मध्य परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध डिजिटल पहलों को अपनाने में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
  • सांस्कृतिक बदलाव: डिजिटल शासन को अपनाने के लिए सरकारी संस्थाओं के अंदर सांस्कृतिक बदलाव की आवश्यकता है। नवाचार और अनुकूलनशीलता को महत्त्व देने वाली मानसिकता को बढ़ावा देना सफल डिजिटल परिवर्तन के लिए महत्त्वपूर्ण है।

MeitY की आगामी योजनाएँ: भारत के डिजिटल भविष्य को आकार देना

  • सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देना: MeitY अपनी उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं के माध्यम से भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
    • वैश्विक प्रौद्योगिकी दिग्गजों के साथ सहयोग को बढ़ावा देने और स्थानीय स्टार्टअप को बढ़ावा देने के माध्यम से, मंत्रालय का लक्ष्य सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करना है, जिससे इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में सतत विकास और वैश्विक प्रतिस्पर्धा सुनिश्चित हो सके।
  • AI विकास और विनियमन को आगे बढ़ाना: IndiaAI मिशन के अंतर्गत, MeitY उन्नत बुनियादी ढाँचे के निर्माण, AI अनुसंधान को बढ़ावा देने और स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा एवं अन्य प्रमुख क्षेत्रों में AI-संचालित अनुप्रयोगों को सक्षम करने की दिशा में पर्याप्त संसाधन आवंटित करने के लिए तैयार है।
  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना का विस्तार: आधार, UPI और डिजीलॉकर जैसे मौजूदा डिजिटल प्लेटफार्मों को बढ़ाने की योजना पर कार्य चल रहा है।
    • MeitY का लक्ष्य इंडियास्टैक पारिस्थितिकी तंत्र का विस्तार करना, वैश्विक अंतर-संचालन को बढ़ावा देना और डिजिटल वित्त एवं ई-गवर्नेंस में नए अवसरों को बढ़ावा देना भी है।
  • साइबर सुरक्षा को मजबूत करना: साइबर खतरों का मुकाबला करने के लिए मजबूत एवं लचीले बुनियादी ढाँचे के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करते हुए, MeitY उन्नत प्रौद्योगिकियों का लाभ उठा रहा है और सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत कर रहा है।
    • इन पहलों का उद्देश्य भारत की डिजिटल परिसंपत्तियों की सुरक्षा करना तथा नागरिकों और उद्यमों के लिए सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करना है।

निष्कर्ष

  • डिजिटल गवर्नेंस की दिशा में भारत की यात्रा महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों और बेहतर शासन के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के निरंतर प्रयासों से चिह्नित है।
  • डिजिटल बुनियादी ढाँचे, साइबर सुरक्षा, उभरती प्रौद्योगिकियों और क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित करके, सरकार का लक्ष्य सभी नागरिकों के लिए अधिक कुशल, पारदर्शी एवं सुलभ शासन प्रणाली बनाना है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत में शासन की दक्षता, पारदर्शिता और समावेशिता को बढ़ाने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने की क्षमता एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

Source: TH