ट्रम्प 2.0: भारत-अमेरिका संबंधों के लिए एक नया युग

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सन्दर्भ

  • डोनाल्ड ट्रम्प के संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति ‘ट्रम्प 2.0’ के रूप में दूसरा कार्यकाल प्राप्त करने के साथ, अमेरिका-भारत व्यापार संबंधों की गतिशीलता उनकी ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीतियों पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने के साथ महत्वपूर्ण परिवर्तनों के लिए तैयार है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ने की संभावना है।

भारत-अमेरिका संबंधों का महत्व

  • भारत और अमेरिका के बीच संबंध 21वीं सदी में सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक बन गए हैं। यह आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक आयामों तक विस्तारित है, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रों के साझा मूल्यों और आपसी हितों को दर्शाता है।

रणनीतिक हित:

  • दोनों राष्ट्र समान हितों से प्रेरित हैं: भारत का लक्ष्य विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना है, जबकि अमेरिका चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए विश्वसनीय सहयोगियों की खोज कर रहा है।
    • आर्थिक विकास और सुरक्षा पर उनका साझा ध्यान आतंकवाद और हिंद-प्रशांत स्थिरता जैसे क्षेत्रों में गहन सहयोग की ओर ले जा सकता है। 
  • रक्षा और सुरक्षा: विदेशी संघर्षों में अमेरिकी भागीदारी को कम करने पर ट्रम्प का बल भारत को क्षेत्रीय सुरक्षा में अधिक प्रमुख भूमिका निभाने के लिए प्रेरित कर सकता है।
    • इससे रक्षा सहयोग और हथियार सौदों में वृद्धि हो सकती है, जिससे भारत की सैन्य क्षमताएँ मजबूत होंगी। 
    • प्रौद्योगिकी और रक्षा में सहयोग बढ़ सकता है, साथ ही अमेरिका द्वारा भारतीय रक्षा बलों के लिए अधिक सैन्य हार्डवेयर खोलने की संभावना है।

आर्थिक हित:

  • भारत और अमेरिका दोनों ही व्यापार के पक्ष में हैं और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जो वैश्विक आर्थिक मंच पर महत्वपूर्ण परिवर्तन ला सकता है।
  • ट्रंप की ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति, जिसे प्रायः अलगाववादी के रूप में देखा जाता है, मोदी की ‘मेक इन इंडिया’ पहल के साथ संरेखित है, जो संभावित रूप से गहरे आर्थिक संबंधों को प्रोत्साहन देती है।
  • ट्रंप प्रशासन से मुक्त व्यापार समझौते के लिए बातचीत को फिर से शुरू करने की संभावना है, जिस पर उनके पहले कार्यकाल के दौरान गहन चर्चा हुई थी।
  • अमेरिकी कंपनियों द्वारा संचालित भारत में वैश्विक क्षमता केंद्रों (GCCs) का विकास एक ऐसा क्षेत्र है, जहां सहयोग फल-फूल सकता है।
  • ट्रंप 2.0 के तहत, भारत को व्यापार विवादों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना और सेमीकंडक्टर कार्यक्रम जैसी निर्यात-अनुकूल नीतियों के साथ आज यह बेहतर तरीके से तैयार है।

व्यापार नीतियाँ:

व्यापार नीतियाँ
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  • आयात पर उच्च शुल्क सहित ट्रम्प का संरक्षणवादी दृष्टिकोण भारतीय निर्यातकों के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है। अपने पहले कार्यकाल के दौरान, ट्रम्प भारत जैसे देशों के साथ व्यापार घाटे को कम करने के बारे में दृढ़ थे।
  • ट्रम्प की अप्रत्याशित नीतिगत बदलावों से आर्थिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। उदाहरण के लिए, व्यापार समझौतों में परिवर्तन या ईरान जैसे देशों पर प्रतिबंध भारत की ऊर्जा आपूर्ति को बाधित कर सकते हैं और लागत बढ़ा सकते हैं।
  • भारत के लिए, यह व्यापार संबंधों को जटिल बना सकता है, विशेषकर आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्रों में, जो अमेरिकी बाजार पर बहुत अधिक निर्भर हैं। 
  • उनके प्रशासन ने कई भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ लगाया, और उनके दूसरे कार्यकाल में भी इसी तरह के उपायों की उम्मीद की जा सकती है।

आप्रवासन में सुधार: निर्वासन और वीज़ा प्रतिबंध:

  • सख्त आप्रवासन कानून अमेरिका में भारतीय कार्यबल को प्रभावित कर सकते हैं, विशेषकर तकनीकी क्षेत्र में। ट्रम्प 2.0 के साथ, आगे और प्रतिबंध लगने की संभावना है, जो अमेरिका में कुशल भारतीय पेशेवरों के प्रवाह को प्रभावित कर सकता है। 
  • अमेरिका में कानूनी प्रवास के लिए पहले से ही कठिन प्रक्रिया, विशेष रूप से H-1B वीजा कार्यक्रम के माध्यम से, उनके प्रशासन के तहत अधिक प्रतिबंधात्मक हो सकती है।

ऊर्जा नीतियाँ:

  • ट्रम्प की ऊर्जा नीतियाँ, जो जीवाश्म ईंधन उत्पादन को बढ़ावा देती हैं, वैश्विक तेल की कीमतों को कम कर सकती हैं।
    • इससे भारत, जो एक प्रमुख तेल आयातक है, को अपने आयात बिल को कम करके लाभ हो सकता है।
    • हालाँकि, यह वैश्विक जलवायु परिवर्तन प्रयासों के लिए चुनौतियाँ भी उत्पन्न करता है, एक ऐसा क्षेत्र जहाँ भारत महत्वपूर्ण प्रगति कर रहा है।

वैश्विक निहितार्थ

  • व्यापार युद्ध और वैश्विक अर्थव्यवस्था: ट्रम्प की आक्रामक व्यापार नीतियों की वापसी चीन और यूरोपीय संघ जैसी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार तनाव को फिर से बढ़ा सकती है।
    • यह वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर सकता है और विश्व भर में आर्थिक स्थिरता को प्रभावित कर सकता है। 
    • भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए, इन तनावों को दूर करना विकास को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण होगा। 
  • भू-राजनीतिक गतिशीलता: अप्रत्याशितता और लेन-देन के दृष्टिकोण से चिह्नित ट्रम्प की विदेश नीति भू-राजनीतिक गठबंधनों को परिवर्तित कर सकती है।
    • भारत के लिए, इसका अर्थ है कि चीन और रूस जैसी अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ संबंधों का प्रबंधन करते हुए अमेरिका के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को संतुलित करना। 
  • जलवायु परिवर्तन और स्थिरता: जलवायु परिवर्तन के प्रति ट्रम्प का संदेह और जीवाश्म ईंधन के लिए उनका समर्थन जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों को धीमा कर सकता है।
    • यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय है, जो जलवायु प्रभावों के प्रति संवेदनशील है और सतत विकास लक्ष्यों की दिशा में सक्रिय रूप से कार्य कर रहा है।

चुनौतियों के बीच अवसर

  • चुनौतियों के बावजूद, भारत के लिए संभावित अवसर उपस्थित हैं। चूंकि ट्रंप चीन पर निर्भरता कम करना चाहते हैं, इसलिए भारत के लिए नए व्यापार अवसर उभर सकते हैं, जिससे चीन से दूर अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाने की चाह रखने वाली अमेरिकी फर्मों को आकर्षित किया जा सके।
  • भारत अपनी बढ़ती अर्थव्यवस्था और रणनीतिक महत्व के साथ रक्षा, ऊर्जा तथा प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में अनुकूल शर्तों पर बातचीत करने के लिए इसका लाभ उठा सकता है।
  • आतंकवाद-विरोध और हिंद-प्रशांत स्थिरता पर रणनीतिक संरेखण सहयोग के लिए महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करता है।

निष्कर्ष और भविष्य का दृष्टिकोण

  • ट्रम्प का दूसरा कार्यकाल भारत के लिए मिश्रित परिणाम लेकर आया है। संरक्षणवाद और व्यापार समर्थक नीतियों के मिश्रण के साथ ट्रम्पोनॉमिक्स भारत और विश्व के लिए एक जटिल परिदृश्य प्रस्तुत करता है। जबकि आर्थिक विकास और निवेश के अवसर हैं, व्यापार तनाव, ऊर्जा नीतियों तथा जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
  • जैसे-जैसे भारत इस नए चरण में प्रवेश करेगा, रणनीतिक कूटनीति और अनुकूल आर्थिक नीतियां ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल के लाभों का लाभ उठाने तथा जोखिमों को कम करने के लिए महत्वपूर्ण होंगी।
  • यद्यपि सामरिक लाभ के अवसर उपस्थित हैं, विशेषकर रक्षा और द्विपक्षीय संबंधों में, परन्तु आर्थिक चुनौतियों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] भारत-अमेरिका संबंधों में हाल ही में हुए घटनाक्रमों का विश्लेषण करें। क्या आप मानते हैं कि वे द्विपक्षीय संबंधों में एक नए युग का संकेत देते हैं? इस परिवर्तन को प्रेरित करने वाले प्रमुख कारकों और वैश्विक भू-राजनीतिक परिदृश्य के लिए इसके संभावित निहितार्थों पर चर्चा करें।

Source: BL