पाठ्यक्रम: GS1/महिलाओं की भूमिका; GS2/शिक्षा’ GS3/विज्ञान और प्रौद्योगिकी
सन्दर्भ
- सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम के अंतर्गत प्राप्त आँकड़ों से पता चलता है कि विभिन्न भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में महिला नामांकन में पर्याप्त वृद्धि हुई है, जो भारत के उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों में अधिक समावेशिता एवं लैंगिक समानता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण क्षण है।
परिचय
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IITs) में महिलाओं के लिए 20% कोटा लागू करना भारत के प्रमुख इंजीनियरिंग संस्थानों में लैंगिक समावेशिता की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम साबित हुआ है।
- इससे IITs में महिला छात्राओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिससे यह पता चलता है कि सकारात्मक कार्रवाई पारंपरिक रूप से पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में लैंगिक अंतर को प्रभावी ढंग से समाप्त कर सकती है।
- आँकड़ों के अनुसार, IITs दिल्ली और बॉम्बे ने 2017 में ही 20% की सीमा पार कर ली थी – यहां तक कि कोटा लागू होने से भी पहले।
संख्याओं से परे: सांस्कृतिक और बुनियादी ढाँचे में बदलाव
- इस कोटा से न केवल IITs में महिलाओं की संख्या बढ़ी है, बल्कि आवश्यक ढाँचागत और सांस्कृतिक परिवर्तन भी हुए हैं।
- कई IITs ने छात्रावास सुविधाओं का विस्तार किया है, छात्राओं के लिए अधिक शौचालयों का निर्माण किया है, तथा महिला खेल टीमों की शुरुआत की है, जिससे अधिक समावेशी वातावरण का निर्माण हुआ है।
- ये परिवर्तन उस पारंपरिक कथन को चुनौती देते हैं कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी (STEM) क्षेत्र मुख्य रूप से पुरुषों के लिए हैं, तथा एक ऐसे भविष्य का संकेत देते हैं जहाँ महिलाओं की आवाज और नवाचार भारत की तकनीकी प्रगति का अभिन्न अंग होंगे।
क्या आप जानते हैं? – IITs में प्रवेश के लिए महिला अतिरिक्त कोटा 2018 में IITs मंडी के तत्कालीन निदेशक टिमोथी गोंसाल्वेस की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के पश्चात् शुरू किया गया था। – लोकप्रिय रूप से इसे ‘आवश्यक मामूली प्रेरणा’ के रूप में जाना जाता है, जिसका उद्देश्य मुख्य रूप से लड़कों द्वारा अधिगृहित IITs परिसरों में विषम लैंगिक अनुपात को सुधारना था। – इसने सिफारिश की कि पहले से वर्तमान पूल में सीटें आरक्षित करने के बजाय, सामान्य पूल को प्रभावित किए बिना महिला सुपरन्यूमरेरी कोटे के अंतर्गत लड़कियों के लिए अतिरिक्त सीटें बनाई जाएँ। – शैक्षणिक वर्ष 2018-19 की शुरुआत में महिला सुपरन्यूमरेरी सीटों की संख्या 14% से बढ़कर 2019-20 में 19% हो गई। 1. इसका उद्देश्य 2021-22 तक सभी IITs में 20% अतिरिक्त सीटें महिलाओं के लिए उपलब्ध कराना है। – संयुक्त सीट आवंटन प्राधिकरण (JoSAA), शिक्षा मंत्रालय द्वारा भारत सरकार द्वारा प्रशासित 110 तृतीयक संस्थानों में प्रवेश का प्रबंधन और विनियमन करने के लिए स्थापित एक एजेंसी है। |
चिंताएं एवं चुनौतियाँ
- लैंगिक अंतर: महिला वैज्ञानिकों को स्थायी पद या पदोन्नति प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण लग सकता है, जैसा कि उमा के मामले में देखा गया, जो एक आणविक जीवविज्ञानी थीं और जिन्हें मातृत्व अवकाश लेने के पश्चात् अपने करियर में असफलताओं का सामना करना पड़ा।
- श्रम बाजार में कम भागीदारी: गैर-STEM व्यवसायों में कुल रोजगार में महिलाओं की भागीदारी लगभग आधी (49.3%) है, लेकिन सभी STEM श्रमिकों में उनकी भागीदारी केवल 29.2% है।
- भारत में STEM क्षेत्रों में प्रवेश लेने वाली महिलाओं का प्रतिशत बहुत अधिक है (लगभग 40%), लेकिन उनका प्रतिनिधित्व काफी कम है (लगभग 14%)।
- STEM विश्वविद्यालय के स्नातकों के श्रम बाजार में एकीकरण के आँकड़े बताते हैं कि स्नातक होने के एक वर्ष पश्चात् भी STEM में महिलाओं की उपस्थिति में उल्लेखनीय गिरावट देखी जाती है।
- अन्य चिंताएँ: कार्य-जीवन संतुलन, सांस्कृतिक एवं सामाजिक कारक, मार्गदर्शन और सहायता नेटवर्क का अभाव, तथा नेतृत्वकारी भूमिकाओं में कम प्रतिनिधित्व आदि।
प्रमुख सरकारी पहल
- विज्ञान और इंजीनियरिंग में महिलाएँ-किरण (WISE-KIRAN): विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) ने फेलोशिप और नेतृत्व कार्यक्रमों सहित विभिन्न सहायता तंत्रों के माध्यम से STEM में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के उद्देश्य से WISE-KIRAN योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमो की शुरुआत की हैं।
- इससे 340 से अधिक महिला वैज्ञानिकों को लाभ हुआ है, जिससे उन्हें अपने करियर को आगे बढ़ाने के अवसर मिले हैं।
- विज्ञान ज्योति: यह युवा लड़कियों को STEM शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करने में सहायक रही है, तथा इसने 29,000 से अधिक लड़कियों को प्रभावित किया है, तथा STEM क्षेत्र को व्यवहार्य कैरियर विकल्प के रूप में बढ़ावा दिया है।
- प्रधानमंत्री प्रारंभिक कैरियर अनुसंधान अनुदान (PM-ECRG): यह महिलाओं सहित युवा शोधकर्ताओं को प्रभावशाली परियोजनाओं के लिए लोचशील बजट के साथ सहायता प्रदान करता है।
- महिला वैज्ञानिक योजना (WOS):
- WOS-A: मूल/अनुप्रयुक्त विज्ञान में अनुसंधान।
- WOS-B: विज्ञान और प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप के माध्यम से सामाजिक कार्यक्रम।
- WOS-C: बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) प्रशिक्षण।
- विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (SERB) – POWER (अन्वेषणात्मक अनुसंधान में महिलाओं के लिए अवसरों को बढ़ावा देना):
- SERB-POWER फ़ेलोशिप: महिला शोधकर्त्ताओं को सहायता प्रदान करती है।
- SERB-POWER अनुसंधान अनुदान: महिलाओं द्वारा संचालित अनुसंधान परियोजनाओं के लिए वित्तपोषण प्रदान करता है।
- जैव प्रौद्योगिकी कैरियर उन्नति और पुन: अभिमुखीकरण कार्यक्रम (Bio-CARe): जैव प्रौद्योगिकी में महिला वैज्ञानिकों को सहायता प्रदान करता है।
- INSPIRE (प्रेरित अनुसंधान के लिए विज्ञान में नवाचार):
- SHE (उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति): विज्ञान में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों को छात्रवृत्ति प्रदान करती है।
आगे की राह
- उच्च शिक्षा पर अखिल भारतीय सर्वेक्षण (AISHE) 2021-22 के अनुसार, इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में नामांकित कुल छात्रों में 27.6 लाख पुरुषों की तुलना में महिलाएं केवल 11.3 लाख हैं।
- इस अंतर को समाप्त करने के लिए निरंतर प्रयास की आवश्यकता है ताकि लिंग-तटस्थ नीतियाँ, मार्गदर्शन और समावेशिता की संस्कृति सुनिश्चित हो सके जिससे महिलाओं को अपनी पूरी क्षमता का एहसास हो सके।
निष्कर्ष
- IITs में महिलाओं के लिए कोटा समावेशन नीतियों की प्रभावशीलता का प्रमाण है। इससे न केवल महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, बल्कि STEM में महिलाओं के लिए अधिक समावेशी एवं सहायक वातावरण भी तैयार हुआ है।
- जैसे-जैसे अधिक महिलाएँ इन प्रतिष्ठित संस्थानों में प्रवेश करेंगी, वे निस्संदेह भारत के बौद्धिक और तकनीकी भविष्य को आकार देने में योगदान देंगी।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न [प्रश्न] उच्च शिक्षा में महिलाओं के लिए कोटा का कार्यान्वयन किस सीमा तक उच्च शिक्षा में समावेशन नीतियों की प्रभावशीलता के साक्ष्य के रूप में कार्य करता है, जिसमें शैक्षणिक प्रदर्शन, विविधता एवं समग्र संस्थागत प्रभाव जैसे कारक सम्मिलित हैं? |
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