भारत में AI को विनियमित करने का दृष्टिकोण

पाठ्यक्रम: GS2/शासन

संदर्भ

  • भारत में स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, कृषि और शासन जैसे क्षेत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को तेजी से अपनाया जा रहा है। अनुमान है कि 2030 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में AI का योगदान 15.7 ट्रिलियन डॉलर तक होगा।
    • हालाँकि, औपचारिक राष्ट्रीय रणनीति या कानूनी ढाँचे का अभाव नैतिक परिनियोजन, जवाबदेही और समावेशी विकास के संबंध में गंभीर चिंताएँ उत्पन्न करता है।

AI गवर्नेंस में वैश्विक प्रवृति

  • पिछले वर्ष में, देशों ने अपना ध्यान मुख्य रूप से मानव अधिकारों और सुरक्षा की रक्षा करने से हटाकर नवाचार को बढ़ावा देने और अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने पर केंद्रित कर दिया है।
    • विधायी रूपरेखा: यूरोपीय संघ , चीन, कनाडा, दक्षिण कोरिया, पेरू और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे देशों ने AI को विनियमित करने के लिए औपचारिक कानून पेश किए हैं।
    • मसौदा कानून: यूनाइटेड किंगडम, जापान, ब्राजील, कोस्टा रिका, कोलंबिया और पाकिस्तान जैसे देशों ने AI विधेयक प्रस्तावित किए हैं, जो अनुमोदन की प्रतीक्षा में हैं।
    • रणनीतिक दस्तावेज: 85 से अधिक देशों और अफ्रीकी संघ ने नीतिगत लक्ष्यों, नैतिक सिद्धांतों, बजट आवंटन और क्षेत्रीय प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय AI रणनीति दस्तावेज जारी किए हैं।

AI को विनियमित करने की आवश्यकता

  • गलत सूचना को रोकना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता द्वारा निर्मित डीपफेक और गलत सूचना द्वारा जनता की राय में संशोधन किया जा सकता है।
  • गोपनीयता की सुरक्षा: विनियमन के बिना बड़े पैमाने पर निगरानी प्रौद्योगिकियाँ नागरिक स्वतंत्रता को कमजोर कर देंगी।
  • एल्गोरिथम संबंधी पूर्वाग्रह को रोकना: कृत्रिम बुद्धिमत्ता हाशिए पर पड़े समूहों के प्रति भेदभावपूर्ण दृष्टिकोण को भी पुनः उत्पन्न कर सकती है।
  • नौकरी एवं श्रम विस्थापन को रोकना: रोजगार स्वचालन पारंपरिक उद्योगों में रोजगारों के लिए खतरा बन रहा है।
  • सत्ता के संकेन्द्रण को रोकना: AI से संबंधित कुछ कंपनियाँ एकाधिकार जोखिम और सामाजिक असंतुलन उत्पन्न करती हैं।
  • अस्तित्व संबंधी जोखिम से सुरक्षा: यदि उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता को अनियंत्रित छोड़ दिया जाए तो यह मानव नियंत्रण से भी अधिक शक्तिशाली हो सकती है।
  • नैतिक चिंताएँ: AI प्रणालियों का अनैतिक और अनुचित उपयोग सतत विकास लक्ष्यों – 2030 की प्राप्ति में बाधा उत्पन्न कर सकता है, तथा सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक आयामों में चल रहे प्रयासों को कमजोर कर सकता है।

भारत का वर्तमान दृष्टिकोण

  • औपचारिक रणनीति का अभाव: भारत के पास वर्तमान में आधिकारिक रूप से अनुमोदित राष्ट्रीय AI रणनीति या समर्पित कानून नहीं है। उपलब्ध एकमात्र रणनीतिक दस्तावेज नीति आयोग द्वारा जारी 2018 का चर्चा पत्र है, जिसे आधिकारिक तौर पर नहीं अपनाया गया।
    • IT अधिनियम (2000) और डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम, 2023 मुख्य रूप से डेटा संरक्षण के माध्यम से AI प्रणालियों के अप्रत्यक्ष शासन की पेशकश करते हैं।
  • इंडियाAI मिशन: औपचारिक कानून के अभाव में, सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के माध्यम से इंडियाAI मिशन शुरू किया है। यह मिशन सात स्तंभों पर आधारित है जिसका उद्देश्य एक जिम्मेदार और नवाचार-संचालित AI पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देना है।
  • विशेषज्ञ सलाहकार समूह: AI शासन के लिए सिफारिशें विकसित करने के लिए एक सलाहकार समूह की स्थापना की गई है। हालाँकि, औपचारिक रूप से इसे अपनाने की समयसीमा और निश्चितता अभी भी अस्पष्ट है।

प्रमुख पहल और रणनीतियाँ

  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता के लिए राष्ट्रीय रणनीति : इसे 2018 में नीति आयोग द्वारा स्वास्थ्य सेवा, कृषि, शिक्षा, स्मार्ट गतिशीलता और स्मार्ट शहरों जैसे प्रमुख क्षेत्रों में AI के जिम्मेदार विकास का मार्गदर्शन करने के लिए जारी किया गया था।
    • हालाँकि, यह बाध्यकारी नहीं है और इसके लिए कोई प्रवर्तनीय नियम नहीं बनाए गए हैं।
  • AI टास्क फोर्स (2018): यह भारत के आर्थिक परिवर्तन में AI का लाभ उठाने हेतु रूपरेखा सुझाने हेतु वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा स्थापित किया गया है।
    • हालाँकि, सिफारिशों को स्वीकार तो किया गया लेकिन औपचारिक रूप से संहिताबद्ध नहीं किया गया।
  • सामाजिक सशक्तिकरण के लिए उत्तरदायी AI (RAISE 2020): इसका आयोजन MeitY और नीति आयोग द्वारा किया गया, जिसमें AI शासन, नैतिकता और समावेशिता, सार्वजनिक-निजी भागीदारी आदि पर ध्यान केंद्रित किया गया।
  • आईटी पर संसदीय स्थायी समिति (2021 और 2023 रिपोर्ट): इन रिपोर्टों में एक समर्पित AI नियामक ढाँचे और एक AI नियामक प्राधिकरण की स्थापना की सिफारिश की गई है।

आगे की राह

  • राष्ट्रीय AI नीति का मसौदा तैयार करना: नीति दस्तावेज में AI के लिए भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित किया जाना चाहिए, प्राथमिकता वाले क्षेत्रों (जैसे, स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि) की पहचान की जानी चाहिए, नैतिक सिद्धांतों को निर्धारित किया जाना चाहिए और संस्थागत जिम्मेदारियों को निर्दिष्ट किया जाना चाहिए।
  • सार्वजनिक परामर्श और जागरूकता को प्रोत्साहित करें: AI परिनियोजन में पारदर्शिता बढ़ाने और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए शिक्षाविदों, उद्योग और नागरिक समाज के साथ संरचित संवाद आवश्यक हैं।
  • पायलट विनियामक तंत्र: भारत को पूर्ण विकसित AI कानून लागू करने से पहले पायलट स्तर के विनियामक उपकरण – जैसे एल्गोरिथम ऑडिट या जोखिम वर्गीकरण प्रणाली – को लागू करना चाहिए।
  • संस्थागत क्षमता में निवेश: इसमें AI अनुसंधान प्रयोगशालाओं, खुले डेटासेट, कौशल विकास पहल, स्वतंत्र नैतिकता समितियों और क्षेत्रीय निरीक्षण निकायों के लिए समर्थन शामिल है।

निष्कर्ष

  • AI विनियमन के प्रति भारत का दृष्टिकोण कठोर कानूनी ढाँचे की तुलना में विकास और अंगीकार करने को प्राथमिकता देता है। यद्यपि इससे लचीलापन प्राप्त होता है, लेकिन इससे पारदर्शिता, जवाबदेही और नैतिक AI परिनियोजन में अंतराल भी रह जाता है।
  • जैसे-जैसे AI को अपनाने की गति बढ़ रही है, भारत को जिम्मेदार और समावेशी AI विकास सुनिश्चित करने के लिए एक संरचित शासन मॉडल पर विचार करना चाहिए।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] AI विनियमन के प्रति भारत का दृष्टिकोण नवाचार, नैतिक चिंताओं और जवाबदेही को कैसे संतुलित करता है, तथा औपचारिक AI शासन ढाँचे की अनुपस्थिति से क्या चुनौतियाँ उत्पन्न हो सकती हैं?

Source: TH