सतत् पर्यटन के लिए भारत का मार्ग

पाठ्यक्रम: GS3/पर्यटन; रोजगार; समावेशी विकास

सन्दर्भ

  • चूँकि भारत में पर्यटन क्षेत्र निरंतर बढ़ रहा है, इसलिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि यह वृद्धि सतत् हो तथा आर्थिक लाभों को पर्यावरणीय और सामाजिक उत्तदयित्वों के साथ संतुलित किया जाए।

सतत् पर्यटन के बारे में

  • पर्यटन विश्व भर में आर्थिक विकास और रोजगार सृजन का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है, जो भारत की समृद्ध सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को बढ़ावा देते हुए स्थायी आजीविका के लिए विशाल क्षमता प्रदान करता है।
  • स्थायी पर्यटन भारत की पर्यटन रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू है, जिसका उद्देश्य पर्यटन के आर्थिक लाभों को पर्यावरणीय और सामाजिक जिम्मेदारियों के साथ संतुलित करना है।
  • केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय सक्रिय रूप से स्थायी पर्यटन प्रथाओं को बढ़ावा दे रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पर्यटन विकास समावेशी, लचीला एवं पर्यावरण के अनुकूल हो।

वर्तमान परिदृश्य

  • विश्व यात्रा और पर्यटन परिषद (WTTC) के अनुसार, 2024 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में पर्यटन का योगदान 6.8% होने की संभावना है, जो 256.1 बिलियन डॉलर के बराबर है।
    • यह रोजगार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, 45.39 मिलियन लोगों या भारतीय कार्यबल के 9.2% लोगों को रोजगार प्रदान करता है। 
    • सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (MOSPI) की रिपोर्ट है कि 2019 में विदेशी पर्यटकों का आगमन (FTA) 10.93 मिलियन तक पहुँच गया, जिससे 30 बिलियन डॉलर की विदेशी मुद्रा आय हुई, जिससे भारत के विदेशी भंडार में वृद्धि हुई। 
  • वैश्विक स्तर पर, पर्यटन 348 मिलियन लोगों को रोजगार देता है, जो वैश्विक रोजगार का 10.4% है।
    • यह 2023 में विश्व के सकल घरेलू उत्पाद 104 ट्रिलियन डॉलर का 10% हिस्सा है।

भविष्य की संभावनाएँ

  • 2024 से 2028 तक 9.62% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) के साथ, बाजार से अरबों डॉलर का राजस्व उत्पन्न होने की संभावना है। 
  • 2030 तक, इस क्षेत्र से सकल घरेलू उत्पाद में 250 बिलियन अमरीकी डॉलर का योगदान करने और 137 मिलियन लोगों के लिए रोजगार सृजित करने की संभावना है।

सतत् पर्यटन के लाभ

  • आर्थिक विकास: सतत् पर्यटन रोजगार सृजन और स्थानीय व्यवसायों को समर्थन देकर आर्थिक विकास को गति दे सकता है।
  • पर्यावरण संरक्षण: पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देकर, सतत् पर्यटन प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण और प्रदूषण को कम करने में सहायता करता है।
  • सामाजिक समावेशन: सतत् पर्यटन पहल प्रायः स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने पर ध्यान केंद्रित करती है।
  • सामुदायिक भागीदारी: पर्यटन नियोजन और विकास में स्थानीय समुदायों को शामिल करना सुनिश्चित करता है कि वे पर्यटन गतिविधियों से लाभान्वित हों और उनकी सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को संरक्षित करने में सहायता करें।
    • होमस्टे, समुदाय-आधारित पर्यटन एवं इको-टूरिज्म परियोजनाओं जैसी पहल स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाती हैं और उन्हें स्थायी आजीविका प्रदान करती हैं।

चुनौतियाँ

  • पर्यावरण क्षरण: अनियंत्रित विस्तार और सामूहिक पर्यटन पर ध्यान केंद्रित करने से पर्यावरण क्षरण हुआ है, जिसमें प्रदूषण, वनों की कटाई, जैव विविधता की हानि एवं सांस्कृतिक क्षरण शामिल है।
  • अति पर्यटन(Overtourism): लोकप्रिय पर्यटन स्थल भीड़भाड़ वाले हो सकते हैं, जिससे स्थानीय बुनियादी ढांचे और संसाधनों पर दबाव बढ़ सकता है।
  • जागरूकता की कमी: पर्यटकों और हितधारकों के बीच स्थायी पर्यटन प्रथाओं के बारे में अधिक जागरूकता एवं शिक्षा की आवश्यकता है।

सरकारी पहल और रणनीतियाँ

  • सतत् पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति (2022): इसका उद्देश्य पर्यटन क्षेत्र में स्थिरता को मुख्यधारा में लाना है। यह पर्यावरणीय स्थिरता को बढ़ावा देने, जैव विविधता की रक्षा करने, आर्थिक स्थिरता को प्रोत्साहन देने, सामाजिक-सांस्कृतिक स्थिरता को बढ़ावा देने, सतत् पर्यटन का प्रमाणन करने, सूचना, शिक्षा और संचार (IEC) और क्षमता निर्माण एवं शासन जैसे सात रणनीतिक स्तंभों पर केंद्रित है।
  • ट्रैवल फॉर लाइफ़(LiFE) प्रोग्राम: मिशन लाइफ़(LiFE) (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) के तहत शुरू किया गया यह कार्यक्रम पर्यटकों और पर्यटन व्यवसायों को स्थायी प्रथाओं को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
    • यह ऊर्जा की बचत, अपशिष्ट को कम करने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने जैसे विषयों पर केंद्रित है।
    • इसका लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि पर्यटन पर्यावरण की सुरक्षा करते हुए और स्थानीय समुदायों को लाभान्वित करते हुए अर्थव्यवस्था में सकारात्मक योगदान दे।
  • पर्यटन के लिए G20 गोवा रोडमैप: यह स्थायी वैश्विक पर्यटन के लिए एक खाका तैयार करता है। यह आर्थिक विकास, पर्यावरण प्रबंधन और सामाजिक समावेश में पर्यटन की भूमिका पर बल देता है।
  • स्वदेश दर्शन 2.0: यह स्थायी और जिम्मेदार पर्यटन स्थलों को विकसित करने पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य ऐसे गंतव्यों का निर्माण करना है जो पर्यावरण की दृष्टि से सतत्, आर्थिक रूप से व्यवहार्य एवं सामाजिक रूप से समावेशी हों।

सतत् प्रथाएँ

  • सिक्किम में जीरो वेस्ट टूरिज्म मॉडल इस बात का उदाहरण है कि समुदाय किस तरह स्थिरता की राह पर आगे बढ़ सकते हैं। 
  • केरल का उत्तरदायी पर्यटन मिशन एक बेहतरीन उदाहरण है, जहां PEPPER और STREET जैसी समुदाय-संचालित पहल सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करते हुए रोजगार सृजित करती हैं।

अंतर्राष्ट्रीय प्रयास

  • वैश्विक स्तर पर, सामूहिक पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिए सतत् पर्यटन उभरा है। जैसा कि केप टाउन घोषणा (2002) और मैग्ना कार्टा लंदन (2020) द्वारा परिभाषित किया गया है, सतत् पर्यटन उत्तरदायी यात्रा को बढ़ावा देता है जो लोगों एवं ग्रह दोनों को लाभान्वित करता है।
  • नीति और रूपरेखा विकास: विश्व आर्थिक मंच और संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) जैसे संगठन अपनी रिपोर्टों और रूपरेखाओं में सतत् पर्यटन के महत्व पर बल दे रहे हैं।
    • ये प्रयास आर्थिक विकास को पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समानता के साथ संतुलित करने पर केंद्रित हैं।
  • आर्थिक सुधार और विकास: अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने पर्यटन को आर्थिक सुधार का एक महत्वपूर्ण चालक बताया है, विशेष रूप से उन देशों में जहां पर्यटन सकल घरेलू उत्पाद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
    • इस क्षेत्र की रिकवरी हवाई संपर्क में वृद्धि और दबी हुई मांग से जुड़ी हुई है।
  • नवाचार और विकास: वैश्विक पर्यटन क्षेत्र लचीलापन और स्थिरता बढ़ाने के लिए डिजिटल नवाचार एवं सतत् विकास प्रथाओं का लाभ उठा रहा है।
    • इसमें नई प्रौद्योगिकियों को अपनाना और पर्यावरण-अनुकूल यात्रा विकल्पों को बढ़ावा देना शामिल है।
  • सामुदायिक एवं पर्यावरणीय प्रभाव: स्थानीय समुदायों एवं पर्यावरण पर पर्यटन के नकारात्मक प्रभावों को न्यूनतम करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
    • इसमें कार्बन उत्सर्जन को कम करने, भीड़भाड़ को प्रबंधित करने तथा स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन देने संबंधी पहल शामिल हैं।

निष्कर्ष और आगे की राह

  • भारत का सतत् पर्यटन का मार्ग एक ऐसी यात्रा है जिसके लिए सरकार, उद्योग हितधारकों और स्थानीय समुदायों के सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है।
  • सतत् प्रथाओं को अपनाकर, सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देकर और चुनौतियों का समाधान करके, भारत यह सुनिश्चित कर सकता है कि उसका पर्यटन क्षेत्र निरन्तर उन्नति करता रहे, तथा भावी पीढ़ियों के लिए अपनी समृद्ध सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक विरासत को संरक्षित रखे।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविध परिदृश्यों के साथ भारत में सतत् पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। इस लक्ष्य को प्राप्त करने में भारत के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों और अवसरों पर चर्चा करें।

Source: BL