पाठ्यक्रम: सामान्य अध्ययन पेपर-3/भारतीय अर्थव्यवस्था
सन्दर्भ
- भारत की आर्थिक आकांक्षाएँ हमेशा से ही व्यापक रही हैं, और यह सही भी है। जब हम अगले कुछ दशकों की ओर देखते हैं, तो प्रश्न आता है: क्या भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने का उल्लेखनीय मील का पत्थर प्राप्त कर सकता है?
भारत का विज़न 2047: विकसित भारत
- नीति आयोग के अनुसार, देश की GDP 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है।
- यह महत्वाकांक्षी लक्ष्य इस धारणा पर निर्भर है कि भारत की वास्तविक GDP में 9% से अधिक की वार्षिक औसत दर से वृद्धि होगी हालांकि, यह ध्यान रखना आवश्यक है कि वित्त वर्ष 2024-25 के बजट में 6.5-7% की अधिक रूढ़िवादी वास्तविक GDP वृद्धि का अनुमान लगाया गया है।
2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के पीछे तर्क
- रोजगार वृद्धि का एक कार्य है। इसलिए, हाल के वर्षों में व्यापार करने में आसानी, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजनाओं और समावेशी विकास के लिए लक्षित कल्याणकारी पहलों के अतिरिक्त बुनियादी ढांचे पर अधिक व्यय के माध्यम से विकास को अधिकतम करने पर बल दिया गया है।
- आर्थिक ताकत: प्राथमिक उद्देश्य भारत की आजादी की शताब्दी तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद को 30 ट्रिलियन डॉलर तक बढ़ाना है।
- प्रति व्यक्ति आय: इस आर्थिक शक्ति के साथ-साथ, इस विजन में प्रति व्यक्ति आय 18,000 डॉलर की भी कल्पना की गई है।
- सहभागी शासन: योजना में सहभागी शासन पर बल दिया गया है। दूसरे शब्दों में, यह केवल सरकारी कार्यालयों की संतुष्टि के बारे में नहीं है; यह हम सभी नागरिकों को हमारे भविष्य को आकार देने में सम्मिलित करने के बारे में है।
- जीवन की गुणवत्ता और सतत विकास: संख्याओं से परे, विजन बेहतर स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, बुनियादी ढांचे आदि के संदर्भ में प्रत्येक भारतीय के लिए जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने पर केंद्रित है।
तात्कालिक चुनौतियाँ
- कृषि में उत्पादकता और लचीलापन: कृषि उत्पादकता में वृद्धि करना महत्वपूर्ण है। संधारणीय प्रथाएँ, तकनीकी प्रगति और बेहतर बुनियादी ढाँचा इस क्षेत्र के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
- रोज़गार और कौशल: भारत दोहरी चुनौती का सामना कर रहा है-बेरोज़गारी और कौशल की कमी। हालाँकि, रोजगार की इच्छा रखने वालों को कौशल प्रदान करने और उन्हें पुनः कौशल प्रदान करने पर सरकार का ध्यान सराहनीय है, लेकिन उद्योग की आवश्यकताओं और विश्वविद्यालय शिक्षा के मध्य की अंतर को समाप्त करना प्राथमिकता बनी हुई है।
- लगभग 50% स्नातक वर्तमान में रोजगार के योग्य नहीं हैं। लगभग 38% IIT स्नातकों को इस वर्ष कैंपस प्लेसमेंट नहीं मिल सका। उद्योग की आवश्यकताओं और भारतीय विश्वविद्यालयों द्वारा प्रदान किए जाने वाले ज्ञान के बीच कौशल का अंतर बहुत अधिक है, कुछ प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों को अतिरिक्त, जो भारत और विदेशों में कुशल जनशक्ति प्रदान करते हैं।
- समावेशी मानव संसाधन विकास और सामाजिक न्याय: असमानता को कम करना और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। इन उद्देश्यों को प्राप्त करने में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और सामाजिक सुरक्षा जाल महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- विनिर्माण और सेवाएँ: एक मजबूत विनिर्माण क्षेत्र, एक संपन्न सेवा उद्योग के साथ सामंजस्य बनाकर, निरंतर विकास के लिए आवश्यक है। निवेश, नवाचार और व्यापार करने में आसानी को प्रोत्साहित करने वाली नीतियाँ महत्वपूर्ण हैं।
- शहरी विकास: जैसे-जैसे भारत तेजी से शहरीकृत हो रहा है, आर्थिक प्रगति के लिए कुशल शहरी नियोजन, बुनियादी ढाँचा विकास और स्मार्ट शहर आवश्यक हैं।
मध्यम से दीर्घकालिक लक्ष्य
- बजट भाषण में नौ प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है।
- पहली पाँच प्राथमिकताएँ निम्नलिखित हैं:
- कृषि में उत्पादकता एवं लचीलापन,
- रोज़गार तथा कौशल,
- समावेशी मानव संसाधन विकास सामाजिक न्याय, विनिर्माण
- सेवाएँ और शहरी विकास
- मुख्य रूप से असमानता और बेरोज़गारी की तात्कालिक समस्या का समाधान करती हैं।
- अंतिम चार प्राथमिकताएँ – ऊर्जा सुरक्षा, बुनियादी ढाँचा, नवाचार, अनुसंधान तथा विकास, और अगली पीढ़ी के सुधार – मुख्य रूप से 2047 तक विकसित भारत के लिए मध्यम से दीर्घकालिक आवश्यकताओं को पूरा करती हैं।
- ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाना और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना सतत विकास के लिए महत्वपूर्ण है।
- बुनियादी ढांचे में निवेश – सड़क, रेलवे, बंदरगाह और डिजिटल कनेक्टिविटी – आर्थिक विस्तार की बुनियाद रखता है।
- नवाचार और अनुसंधान एवं विकास को प्रोत्साहित करने से तकनीकी प्रगति और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलता है।
- कराधान, श्रम कानून और शासन जैसे क्षेत्रों में दूरगामी सुधार भारत के परिवर्तन के लिए महत्वपूर्ण हैं।
- बजट प्रस्ताव एक अच्छा पैकेज है, जो तात्कालिक आवश्यकताओं और दीर्घकालिक लक्ष्यों के बीच संतुलन स्थापित करता है।
मध्यम वर्ग और निवेशकों की भूमिका
- मध्यम वर्ग को बजट के प्रावधानों से लाभ प्राप्त होने की उम्मीद है, जिसमें कर स्लैब में परिवर्तन, मानक कटौती और शिक्षा ऋण सम्मिलित हैं। निवेशकों को भी एंजेल टैक्स को समाप्त करने और विदेशी कंपनियों के लिए निगम कर में कटौती जैसे सुधारों से लाभ प्राप्त होगा
आगे की राह (केन्द्रीय बजट की भूमिका)
- बजट में फोकस क्षेत्र रोजगार, कौशल, MSMEs और मध्यम वर्ग हैं।
- बजट का अंतर्निहित संदेश चार गुना है: सरकार असमानता को कम करने, रोजगार बढ़ाने, MSMEs का समर्थन करने और मध्यम वर्ग को राहत प्रदान करने के बारे में चिंतित है।
- जबकि नई शिक्षा नीति को कौशल अंतर की समस्या से निपटने में समय लगेगा, बजट में नौकरी चाहने वालों (इंटर्नशिप शामिल) को कौशल/पुनः कौशल/अपस्किलिंग करके बेरोजगारी की समस्या को पहले ही हल करना था ताकि अधिकांशतः रोजगार-गहन MSME क्षेत्र में समाहित हो सकें।
- गरीबों के लिए प्रमुख आवास परियोजनाओं सहित बड़े बुनियादी ढांचे के व्यय के कारण सरकार द्वारा उत्पन्न होने नए रोजगार पर्याप्त नहीं हो सकती हैं।
- निजी क्षेत्र में गुणवत्तापूर्ण रोजगार उत्पन्न करने की आवश्यकता है। बजट में प्रस्तावित रोजगार-लिंक्ड प्रोत्साहन (ELI) योजना निजी क्षेत्र को नए रोजगार उत्पन्न करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
- पहले प्रस्तावित की गई PIL योजना अभी भी लागू है।
- आशा है कि ELI और PIL दोनों योजनाएं निजी क्षेत्र को उत्साहित करेंगी।
निष्कर्ष
- 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में भारत की यात्रा महत्वाकांक्षी और चुनौतीपूर्ण दोनों है। इसके लिए तात्कालिक आवश्यकताओं और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के मध्य एक नाजुक संतुलन की आवश्यकता है। जैसे-जैसे भारत इस रास्ते पर आगे बढ़ रहा है, आइए वैश्विक मंच पर उभरते हुए विकसित और समृद्ध भारत की संभावनाओं के बारे में आशावादी बने रहें।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न |
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[प्रश्न] भारत की वर्तमान आर्थिक प्रगति, तकनीकी प्रगति और वैश्विक रुझानों को देखते हुए, क्या आप मानते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की क्षमता रखती है? अपने उत्तर को समर्थन तर्कों के साथ पुष्ट करें। |
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