भारत को एक पर्यावरणीय स्वास्थ्य नियामक एजेंसी की आवश्यकता

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य; सरकारी नीति एवं हस्तक्षेप

सन्दर्भ

  • विशेषज्ञ और नीति निर्माता बढ़ते प्रदूषण स्तर के साथ-साथ तेजी से आर्थिक विकास के बीच व्यापक  एवं एकजुट पर्यावरण प्रशासन पर ध्यान केंद्रित करने के लिए भारत में एक पर्यावरणीय स्वास्थ्य नियामक एजेंसी (EHRA) की स्थापना का समर्थन कर रहे हैं।

परिचय

  • भारत अपनी पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य यात्रा में एक महत्वपूर्ण बिंदु पर है। तीव्र आर्थिक विकास ने महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियाँ ला दी हैं, जिनमें ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि और सार्वजनिक स्वास्थ्य संकेतकों में गिरावट शामिल है।
  • इन परस्पर जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए, विशेषज्ञ और नीति निर्माता एक पर्यावरणीय स्वास्थ्य नियामक एजेंसी (EHRA) की स्थापना की वकालत कर रहे हैं।

भारत में EHRA की आवश्यकता

  • पर्यावरण प्रदूषण के स्वास्थ्य पर प्रभाव: कई अध्ययनों ने हवा, पानी और मिट्टी प्रदूषकों के संपर्क में आने के हानिकारक स्वास्थ्य प्रभावों पर प्रकाश डाला है।
    • उदाहरण के लिए, PM2.5 का संपर्क श्वसन, हृदय और चयापचय के साथ-साथ गर्भावस्था के प्रतिकूल परिणामों एवं मानसिक स्वास्थ्य विकारों से जुड़ा है।
    • कमजोर जनसँख्या, जैसे बच्चे, बुजुर्ग और आर्थिक रूप से वंचित समूह, अधिक जोखिम में हैं।
  • एकीकृत पर्यावरण और स्वास्थ्य प्रशासन: वर्तमान में, भारत के पर्यावरण प्रशासन का प्रबंधन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) सहित कई एजेंसियों द्वारा किया जाता है।
    • हालाँकि, इन निकायों और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय (MoHFW) के बीच समन्वय की कमी है, जिसके कारण प्रदूषण नियंत्रण तथा स्वास्थ्य जोखिम शमन में खंडित प्रयास हो रहे हैं।
  • व्यापक डेटा प्रबंधन: एक EHRA पर्यावरण और स्वास्थ्य डेटा को केंद्रीकृत करेगा, जो पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिमों का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करेगा।
    • यह एकीकरण बेहतर निर्णय लेने एवं नीति निर्माण की सुविधा प्रदान करेगा, जिससे पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रभावों की अधिक प्रभावी निगरानी, ​​विनियमन और शमन की अनुमति मिलेगी।
  • समग्र नीति दृष्टिकोण: एजेंसी उन नीतियों के विकास को सक्षम करेगी जो एक साथ प्रदूषण नियंत्रण और स्वास्थ्य जोखिम शमन को संबोधित करती हैं।
    • जलवायु, पर्यावरण, स्वास्थ्य और अर्थव्यवस्था के परस्पर जुड़े मुद्दों से निपटने के लिए यह आवश्यक है।
  • उन्नत सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणाम: पर्यावरण प्रदूषकों के जोखिम को कम करने पर ध्यान केंद्रित करके, EHRA वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने में सहायता कर सकता है।
    • यह बच्चों, बुजुर्गों और आर्थिक रूप से वंचित समूहों जैसी कमजोर जनसँख्या के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
भारत में महत्वपूर्ण पर्यावरण विधान
पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986: यह केंद्र सरकार को पर्यावरण की सुरक्षा और सुधार के लिए उपाय करने का अधिकार देता है।
1. यह विशिष्ट पर्यावरणीय मुद्दों से निपटने के लिए विभिन्न पर्यावरण नियमों के समन्वय और प्राधिकरणों की स्थापना के लिए रूपरेखा प्रदान करता है।
वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981: इसका उद्देश्य केंद्रीय और राज्य स्तर पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्थापित करके वायु प्रदूषण को नियंत्रित एवं कम करना है।
1. ये बोर्ड वायु गुणवत्ता की निगरानी करने और औद्योगिक एवं वाहन स्रोतों से उत्सर्जन को कम करने के लिए नियम लागू करने के लिए जिम्मेदार हैं।
जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974: यह जल प्रदूषण को रोकने और नियंत्रित करने पर केंद्रित है।
1. यह जल संसाधनों की गुणवत्ता को बनाए रखने और पुनर्स्थापित करने के उद्देश्य से नीतियों एवं विनियमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड स्थापित करता है।
वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972: यह जंगली जानवरों, पक्षियों और पौधों की सुरक्षा प्रदान करता है।
1. यह राष्ट्रीय उद्यानों एवं वन्यजीव अभयारण्यों जैसे संरक्षित क्षेत्रों की स्थापना करता है और वन्यजीवों में शिकार, अवैध शिकार तथा व्यापार को नियंत्रित करता है।
वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980: इसका उद्देश्य वनों का संरक्षण और वनों की कटाई को विनियमित करना है।
1. इसमें गैर-वन उद्देश्यों के लिए वन भूमि के परिवर्तन के लिए केंद्र सरकार से पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है और वन संसाधनों के सतत उपयोग पर बल दिया जाता है।
राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम, 2010: यह पर्यावरण संरक्षण और वनों एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों को संभालने के लिए राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की स्थापना करता है।
1. NGT पर्यावरणीय मामलों के शीघ्र निपटान के लिए एक विशेष मंच प्रदान करता है।

EHRA के लाभ

  • एकीकृत डेटा प्रबंधन: विभिन्न स्रोतों से डेटा को समेकित करके, EHRA पर्यावरणीय स्वास्थ्य जोखिमों का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान कर सकता है, जिससे बेहतर निर्णय लेने और नीति निर्माण की सुविधा मिल सकती है।
    • यह पर्यावरणीय स्वास्थ्य प्रभावों की अधिक प्रभावी निगरानी, ​​विनियमन और शमन की अनुमति देता है
  • समग्र नीति दृष्टिकोण: एजेंसी उन नीतियों के विकास को सक्षम करेगी जो एक साथ प्रदूषण नियंत्रण और स्वास्थ्य जोखिम शमन को संबोधित करती हैं, जिससे अधिक सामंजस्यपूर्ण तथा प्रभावी शासन हो सके।
    • इसका उद्देश्य पर्यावरण निगरानी और स्वास्थ्य प्रभाव आकलन के बीच अंतर को समाप्त करना है, जिससे पर्यावरण प्रशासन के लिए समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित किया जा सके।
  • उन्नत सार्वजनिक स्वास्थ्य: पर्यावरण प्रदूषकों के जोखिम को कम करने पर ध्यान देने के साथ, EHRA वायु, जल और मिट्टी प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों को कम करने में सहायता कर सकता है, विशेष रूप से कमजोर जनसँख्या के लिए।
  • उन्नत अनुपालन और प्रवर्तन: एक केंद्रीकृत एजेंसी पर्यावरणीय नियमों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करते हुए, प्रवर्तन तंत्र को सुव्यवस्थित कर सकती है।

EHRA की स्थापना में चिंताएँ और चुनौतियाँ

  • EHRA की स्थापना के लिए नौकरशाही बाधाओं, हितधारक प्रतिरोध और वैज्ञानिक विशेषज्ञता एवं प्रवर्तन तंत्र की आवश्यकता सहित कई चुनौतियों पर नियंत्रण पाने की आवश्यकता होगी।
  • नौकरशाही निष्क्रियता: वर्तमान पर्यावरण शासन ढांचा खंडित है, जिसमें जिम्मेदारियाँ कई मंत्रालयों और विभागों में फैली हुई हैं।
    • इन कार्यों को एक ही एजेंसी में एकीकृत करने के लिए महत्वपूर्ण प्रशासनिक पुनर्गठन और समन्वय की आवश्यकता होती है।
  • उद्योग प्रतिरोध: परिचालन लागत और अनुपालन भार में वृद्धि के बारे में चिंताओं के कारण उद्योग सख्त नियमों एवं निरीक्षण का विरोध कर सकते हैं।
    • इस प्रतिरोध को कम करने के लिए बेहतर पर्यावरणीय स्वास्थ्य मानकों के दीर्घकालिक लाभों के बारे में प्रभावी हितधारक जुड़ाव एवं स्पष्ट संचार आवश्यक है।
  • हालाँकि, सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरणीय स्थिरता के लिए संभावित लाभ इसे भारत के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बनाते हैं।

निष्कर्ष

  • देश के सामने उपस्थित गहन और तात्कालिक पर्यावरणीय स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने के लिए भारत में एक पर्यावरणीय स्वास्थ्य नियामक एजेंसी की स्थापना करना आवश्यक है।
  • पर्यावरण और स्वास्थ्य डेटा को एकीकृत करके, EHRA अधिक व्यापक एवं सामंजस्यपूर्ण पर्यावरण प्रशासन को जन्म दे सकता है, अंततः सार्वजनिक स्वास्थ्य परिणामों में सुधार कर सकता है तथा सतत विकास सुनिश्चित कर सकता है।
दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] क्या आप मानते हैं कि भारत को पर्यावरण प्रदूषण से उत्पन्न बढ़ती चुनौतियों और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक समर्पित पर्यावरणीय स्वास्थ्य नियामक एजेंसी की तत्काल आवश्यकता है? प्रासंगिक उदाहरणों और तर्कों के साथ अपने दृष्टिकोण को उचित ठहराएँ।

Source: TH