श्रीलंका की नृजातीय समस्या का समाधान

पाठ्यक्रम: GS2/भारत और इसके पड़ोसी संबंध

संदर्भ

  • भारत द्वारा जाफना सांस्कृतिक केंद्र का नाम बदलकर ‘जाफना तिरुवल्लुवर सांस्कृतिक केंद्र’ रखने से श्रीलंका के साथ भारत के संबंध मजबूत हुए हैं, तथा इसमें ‘जाफना’ शब्द को आरंभ में हटा दिए जाने पर तमिलों की चिंता का समाधान किया गया है।

ऐतिहासिक संदर्भ: श्रीलंका की नृजातीय समस्या

  • औपनिवेशिक युग: ब्रिटिशों ने प्रशासनिक और शैक्षिक अवसरों में तमिल अल्पसंख्यकों को तरजीह दी, जिससे सिंहली बहुसंख्यकों में असंतोष उत्पन्न हुआ।
  • स्वतंत्रता के पश्चात्: 1956 के सिंहली अधिनियम और तमिल-बहुल क्षेत्रों के राज्य प्रायोजित उपनिवेशीकरण जैसी नीतियों ने तनाव को और बढ़ा दिया।
  • लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम (LTTE): इसका गठन 1970 के दशक में हुआ था, इसने एक स्वतंत्र तमिल राज्य की माँग की, जिसके परिणामस्वरूप एक लंबा और क्रूर गृह युद्ध चला जो 2009 तक चला।
  • श्रीलंका के संविधान: 1948 का सोलबरी संविधान और 1972 एवं 1978 के दो रिपब्लिकन संविधानों का मसौदा तैयार किया गया, जो ब्रिटिश, अमेरिकी और फ्रांसीसी शासन प्रणालियों पर आधारित थे।
  • श्रीलंकाई संविधान में 13वाँ संशोधन: इसे 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते के भाग के रूप में प्रस्तुत किया गया था, जिसका उद्देश्य प्रांतीय परिषदों को शक्तियाँ हस्तांतरित करना था, जिससे तमिल बहुल क्षेत्रों को अधिक स्वायत्तता प्रदान की जा सके।
    • हालाँकि, इस संशोधन का पूर्ण कार्यान्वयन अभी भी अधूरा है।

महत्त्वपूर्ण मुद्दे

  • राजनीतिक प्रतिनिधित्व: तमिल समुदाय लंबे समय से अधिक राजनीतिक स्वायत्तता और प्रतिनिधित्व की माँग कर रहे हैं।
    • 13वें संशोधन का उद्देश्य प्रांतीय परिषदों को शक्तियाँ सौंपना था, लेकिन इसका आंशिक क्रियान्वयन ही हो पाया है, जिसके कारण शिकायतें जारी हैं।
  • भूमि एवं संसाधन: भूमि अधिकारों और संसाधनों तक पहुँच से संबंधित विवाद संघर्ष का केंद्र है।
    • तमिल क्षेत्रों में राज्य प्रायोजित बस्तियाँ और भूमि पर सेना के कब्जे ने तनाव को बढ़ा दिया है।
  • भाषा और पहचान: भाषा नीतियाँ और सांस्कृतिक अधिकार महत्त्वपूर्ण मुद्दे हैं। तमिल पहचान को सुरक्षित रखने के लिए सिंहली के साथ-साथ तमिल को भी आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता देना और बढ़ावा देना महत्त्वपूर्ण है।

समाधान के रास्ते

  • 13वें संशोधन का पूर्ण कार्यान्वयन: भारत ने लगातार श्रीलंका से 13वें संशोधन के पूर्ण कार्यान्वयन के लिए ‘तत्काल और विश्वसनीय कार्रवाई’ करने और प्रांतीय परिषद के चुनाव शीघ्रता से कराने का आग्रह किया है, जिससे तमिल समुदायों को अधिक स्वायत्तता और राजनीतिक आवाज मिल सके।
  • भूमि सुधार: भूमि विवादों का समाधान करना तथा नियंत्रण वाली भूमि को उसके वास्तविक मालिकों को वापस दिलाना, विश्वास का पुनर्निर्माण करने तथा मेल-मिलाप को बढ़ावा देने में सहायक हो सकता है।
  • समावेशी शासन: सभी नृजातीय समूहों के अधिकारों और आकांक्षाओं का सम्मान करने वाले समावेशी शासन को बढ़ावा देना आवश्यक है। इसमें राष्ट्रीय निर्णय प्रक्रिया में तमिलों की सार्थक भागीदारी शामिल है।
  • आर्थिक विकास: सभी समुदायों को लाभ पहुँचाने वाला समतापूर्ण आर्थिक विकास शिकायतों को कम कर सकता है तथा सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा दे सकता है। तमिल बहुल क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढाँचे में निवेश महत्त्वपूर्ण है।
  • सांस्कृतिक मान्यता: आधिकारिक संचार और शिक्षा में तमिल के उपयोग सहित सांस्कृतिक और भाषायी अधिकारों को बढ़ावा देने से तमिल पहचान को संरक्षित करने एवं अपनेपन की भावना को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।

अंतर्राष्ट्रीय समर्थन

  • भारत सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को श्रीलंका के सुलह प्रयासों का समर्थन करने में भूमिका निभानी है।
  • राजनयिक सहभागिता, विकास सहायता और संक्रमणकालीन न्याय तंत्र के लिए समर्थन स्थायी शांति में योगदान दे सकते हैं।

निष्कर्ष

  • श्रीलंका की नृजातीय समस्या के समाधान के लिए बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जो ऐतिहासिक शिकायतों का समाधान करे, राजनीतिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करे, समावेशी शासन को बढ़ावा दे, तथा आर्थिक विकास को प्रोत्साहन दे।
  • हालाँकि, श्रीलंका की नृजातीय समस्या को हल करने का रास्ता जटिल बना हुआ है, और इसके लिए निरंतर वार्ता और सहयोग की आवश्यकता है।
  • क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने में 13वें संशोधन के कार्यान्वयन के लिए मध्यस्थ और अधिवक्ता के रूप में भारत की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।

For India-Sri Lanka Relation in detail, please follow the link:

https://www.nextias.com/ca/current-affairs/17-12-2024/india-sri-lankan-take-up-regional-security-issues

दैनिक मुख्य परीक्षा अभ्यास प्रश्न
[प्रश्न] ऐतिहासिक संदर्भ, राजनीतिक गतिशीलता और तमिल समुदाय की आकांक्षाओं को ध्यान में रखते हुए, दीर्घकालिक नृजातीय समस्या को प्रभावी ढंग से हल करने के लिए भारत एवं श्रीलंका को क्या रणनीति अपनानी चाहिए?

Source: TH

 

Recent News

पाठ्यक्रम: GS2/अंतर्राष्ट्रीय संबंध संदर्भ हिंद-प्रशांत क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय कूटनीति और रणनीतिक पहलों का केंद्र बिंदु बनकर उभरा है, जो वैश्विक मामलों में इसके महत्त्व को रेखांकित करता है। विश्व भर के राष्ट्र इस क्षेत्र के महत्त्व को तेजी से पहचान रहे हैं और इसकी स्थिरता, समृद्धि एवं खुलेपन के लिए प्रतिबद्ध...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/ अंतर्राष्ट्रीय संबंध सन्दर्भ इंडोनेशियाई राष्ट्रपति की हाल की भारत की राजकीय यात्रा और भारत के 76वें गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि के रूप में उनकी भूमिका, भारत-इंडोनेशिया राजनयिक संबंधों की 75वीं वर्षगांठ का प्रतीक है, जिसमें द्विपक्षीय सहयोग का पूर्ण दायरा शामिल है। भारत-इंडोनेशिया संबंध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक...
Read More

पाठ्यक्रम: GS2/स्वास्थ्य संदर्भ महत्वाकांक्षी EndTB अभियान के तहत 2025 तक तपेदिक (TB) को समाप्त करने की दिशा में भारत की यात्रा चुनौतियों और जटिलताओं से भरी हुई है।  महत्त्वपूर्ण प्रगति के बावजूद, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने का मार्ग कठिन एवं  जटिल बना हुआ है।...
Read More

पाठ्यक्रम: GS3/पर्यावरण; प्रदूषण संदर्भ केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने हाल ही में केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) द्वारा तैयार वार्षिक भूजल गुणवत्ता रिपोर्ट 2024 जारी की। यह व्यापक रिपोर्ट भारत के भूजल संसाधनों की स्थिति, उनकी गुणवत्ता, उपयोग की प्रवृति और चुनौतियों पर प्रकाश डालती है, साथ ही सतत प्रबंधन प्रथाओं...
Read More

पाठ्यक्रम: GS3/अर्थव्यवस्था; विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संदर्भ महत्त्वपूर्ण खनिजों के निर्यात को नियंत्रित करने में चीन द्वारा हाल ही में की गई रणनीतिक चालों ने वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में हलचल उत्पन्न कर दी है, जिससे भारत जैसे देशों को इन महत्त्वपूर्ण संसाधनों को सुरक्षित करने के अपने दृष्टिकोण पर पुनर्विचार करने...
Read More